
हम सभी चाहते हैं कि हमें एक ऐसा जीवनसाथी मिले जिससे हमारी जिंदगी की मुश्किलें आसान हो जाएं. जिसके साथ बैठकर हम अपनी सभी परेशानियां कह दें और वो चुटकी में सुलझ जाएं. लेकिन कई बार वही जीवनसाथी आपकी जिंदगी में मुश्किलें पैदा करने लगता है या फिर आप दोनों के बीच हुई आए दिन की अन-बन आपके रिश्तों को कमजोर कर रही है. कई बार आप दोनों ही अपनी-अपनी जगह सही होते हैं लेकिन एक-दूसरे से हमने कई उम्मीदें बांध रखी होतीं हैं जो पूरी न हो तो दुख होने लगता है और हम सामने वाले को समझने से इन्कार कर देते हैं. ऐसे वक्त में हमें जरुरत होती है कपल कउंसलिंग की. तो आइए जानते हैं कपल काउंसलिंग और इससे होने वाले फायदे के बारे में…

1-कदम समझदारी भरे
तलाक के मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए समझदारी भरे कदम जरूरी है ताकि रिश्ते में ठहराव बना रहे और रिश्ता की उम्र पर कोई असर न पड़े। पति-पत्नी में अनबन शुरू होने के कारण वे काउंसिलिंग का रूख कर लेते हैं। अगर शादी से पहले ही काउंसिलिंग करा लिया जाए तो वो रिश्ते के लिए बहुत बढ़िया होगा।
तलाक के मामले दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए समझदारी भरे कदम जरूरी है ताकि रिश्ते में ठहराव बना रहे और रिश्ता की उम्र पर कोई असर न पड़े। पति-पत्नी में अनबन शुरू होने के कारण वे काउंसिलिंग का रूख कर लेते हैं। अगर शादी से पहले ही काउंसिलिंग करा लिया जाए तो वो रिश्ते के लिए बहुत बढ़िया होगा।
2-तालमेल भी है जरूरी
दरअसल, शादी होने के बाद सबसे बड़ी दिक्कत ये सामने आती है कि पति और पत्नी अपनी जगह पर सही होने के बावजूद भी एक-दूसरे के नजरिये को नहीं समझ पाते हैं। तालमेल नहीं बैठने के कारण रिश्तों में खींचातानी शुरू हो जाते हैं और परेशानियां दिन पर दिन बढ़ने लगती है।
दरअसल, शादी होने के बाद सबसे बड़ी दिक्कत ये सामने आती है कि पति और पत्नी अपनी जगह पर सही होने के बावजूद भी एक-दूसरे के नजरिये को नहीं समझ पाते हैं। तालमेल नहीं बैठने के कारण रिश्तों में खींचातानी शुरू हो जाते हैं और परेशानियां दिन पर दिन बढ़ने लगती है।
3-सच्चाइयों से रूबरू
रिश्तों में लोग अक्सर महत्वकांक्षी हो जाते हैं और उसी के बारे में केवल सोचने लगते हैं। इस वजह से भी रिश्तों में परेशानी होने लगती है। यदि आपको अपने जीवन से जुड़े सच्चाइयों से रूबरू होना है तो आपको काउंसिलिंग है।
रिश्तों में लोग अक्सर महत्वकांक्षी हो जाते हैं और उसी के बारे में केवल सोचने लगते हैं। इस वजह से भी रिश्तों में परेशानी होने लगती है। यदि आपको अपने जीवन से जुड़े सच्चाइयों से रूबरू होना है तो आपको काउंसिलिंग है।
4-आसानी से बात रखना
शादी से पहले यदि काउंसिलिंग करा ली जाए तो पति-पत्नी एक-दूसरे को आसानी से समझ जाते हैं। ऐसे में पार्टनर एक-दूसरे के सामने अपनी बातें आसानी से रख पाते हैं। यदि दोनों में बातें अच्छी होगी तो कभी भी दूरियां नहीं बढ़ेगी।
शादी से पहले यदि काउंसिलिंग करा ली जाए तो पति-पत्नी एक-दूसरे को आसानी से समझ जाते हैं। ऐसे में पार्टनर एक-दूसरे के सामने अपनी बातें आसानी से रख पाते हैं। यदि दोनों में बातें अच्छी होगी तो कभी भी दूरियां नहीं बढ़ेगी।
5-कम्यूनिकेशन है जरूरी
तलाक से जुड़े कई मामलों में कोर्ट पति-पत्नी को काउंसिलिंग की सलाह देता है। शादी के बाद इस तरह की स्थितियां न बनें, इसके लिए शादी से पहले ही काउंसिलिंग करनी चाहिए। आमतौर पर देखा जाता है कि कपल के बीच बेहतर कम्यूनिकेशन नहीं होने के कारण उनके बीच गलतफहमियां पैदा होती हैं।
तलाक से जुड़े कई मामलों में कोर्ट पति-पत्नी को काउंसिलिंग की सलाह देता है। शादी के बाद इस तरह की स्थितियां न बनें, इसके लिए शादी से पहले ही काउंसिलिंग करनी चाहिए। आमतौर पर देखा जाता है कि कपल के बीच बेहतर कम्यूनिकेशन नहीं होने के कारण उनके बीच गलतफहमियां पैदा होती हैं।