
Report-brajesh panth
ललितपुर-केंद्र और यूपी सरकार भले ही आज देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने,आम आदमी को सीधे तौर पर सरकारी योजनाओं का लाभ और लोगो को उनका अधिकार दिलाने के लिए तमाम कानून बना रही है । लेकिन बुन्देलखण्ड के ललितपुर में तैनात भ्रष्ट अधिकारी आम आदमी से जुड़े कानून की धज्जियां बनाकर हवा में उड़ा रहे है।
हम बात कर रहे है जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 की, जिसका पालन अधिकारी कानून के मुताविक नही बल्कि मन मुताबिक इस्तमाल कर रहे है । बुन्देलखण्ड के ललितपुर में भृष्ट अधिकारियों ने RTI कार्यकर्ताओ को सूचना न देने के उद्देश्य से हजारों रुपये की मांग कर डाली। पूरे मामले में दिलचस्प है कि एक ही सूचना ललितपुर के सभी विकास खण्डों से मांगी गई थी।
जिसमें अधिकारियों ने मन मुताबिक 5 हजार से लेकर 50 हजार तक कि मांग कर डाली। जबकि सूचना अधिकार अधिनियम के तहत सूचना से सम्बंधित कागजो की संख्या के अनुसार 2 रुपए प्रति कागज से कार्यकर्ता को कानून के तहत देना होता है। लेकिन अधिकारी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं किये गए करोड़ो के भ्रष्टाचार को दवाएं रखने के लिए कानून और सरकार की योजनाओं में पलीता लगा रहे है।
वहीं कई अधिकारी आवेदकों से मन मुताविक रुपये जमा कराने के बाद भी सूचना उपलब्ध नही करा पा रहे है। आरटीआई कार्यकर्ता अंतिम जेन ने जब खण्ड बिकास अधिकारी सुनील कुमार से ब से बात की तो वह इस बात को कह रहे है कि जितने रुपये मांगे गए है उतने कागजो की सूचना ही विभाग में नही है जो पैसा ज्यादा लिया गया है।
आंखों की सूजन कम करने के लिए इससे बहतर नहीं है कोई इलाज
उसे वापस किया जा जाएगा। लेकिन अधिकारी ऐसे अधिकारियों पर जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत दण्डित नही कर रहे जो जन सूचना अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे है।