(अराधना)
सभी जानते है कि मलेरिया की बीमारी मच्छरों के काटने से होता है। बहुत कम लोग इस बात को जानते होंगे कि मलेरिया बुखार सिर्फ एक नहीं बल्कि 5 तरह का होता है। वर्ल्ड मलेरिया डे पर लोगों को मलेरिया बुखार के प्रति जागरुक किया जाता है। यह प्रत्येक वर्ष 25 अप्रेल को मनाया जाता है। विश्व के कई देश मलेरिया के घातक बीमारि से जूझ रहे है।

कैसे होता है मलेरिया
मलेरिया बुखार एक संक्रामक रोग है। प्लाज्मोडियम वीवेक्स नामक वायरस की वजह से मलेरिया की बीमारी होती है। मनुष्य के शरीर में यह वायरस मादा मच्छर एनोफिलीज के काटने से प्रवेश करके उसे कई गुना बढ़ा देता है। यह जीवाणु लिवर और रक्त कोशिकाओं को संक्रमित कर देता है, जिससे व्यक्ति बीमार हो जाता हैं। बता दें, मलेरिया फैलाने वाली इस मादा मच्छर के पांच अलग-अलग जातियों के जीवाणु होते है।
मलेरिया के लक्षण
मलेरिया के लक्षण आमतौर पर संक्रमित होने के 10 दिन से 4 सप्ताह में विकसित हो सकते है। कई बार यह समय ज्यादा भी हो जाता है। इसके परजीवी शरीर में लंबे समय तक सुप्त पड़े रहते हैं।
सिरदर्द, तेज बुखार, अत्यधिक पसीना आना, मांसपेशियों में दर्द होना , जी मचलाना, उल्टी होना, खांसी आना, अत्यधिक ठंड लगना, छाती और पेट में तेज दर्द, शरीर में ऐंठन होना, मल के साथ रक्त आना मलेरिया के लक्षण है।
मलेरिया के प्रकार
प्लास्मोडियम फैल्सीपैरम (P. Falciparum)
इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति एकदम बेसुध हो जाता है। इस बुखार में लगातार उल्टियां होती है, जो जानलेवा भी हो सकती है।
सोडियम विवैक्स (P. Vivax)
विवैक्स परजीवी ज्यादातर दिन के समय काटता है। यह मच्छर बिनाइन टर्शियन मलेरिया पैदा करता है। इसका असर 48 दिन में दिखना शुरू होता है।
प्लाज्मोडियम ओवेल मलेरिया (P. Ovale)

मलेरिया का यह रूप बिनाइन टर्शियन मलेरिया उत्पन्न करता है।
प्लास्मोडियम मलेरिया (P. malariae)
प्लास्मोडियम मलेरिया एक प्रकार का प्रोटोजोआ है, जो बेनाइन मलेरिया के लिए जिम्मेदार होता है। इस रोग में क्वार्टन मलेरिया उत्पन्न होता है, जिसमें मरीज को हर चौथे दिन बुखार आ जाता है।इसके अलावा रोगी के यूरिन से प्रोटीन निकलने लगते हैं और शरीर में प्रोटीन की कमी होकर सूजन आ जाती है।
प्लास्मोडियम नोलेसी ( P. knowlesi)
यह प्राइमेट मलेरिया परजीवी दक्षिण पूर्व एशिया में पाया जाता है। इस मलेरिया से पीड़ित रोगी में सिर दर्द, भूख ना लगना जैसे लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
मलेरिया से बचाव
एक स्थान पर पानी जमां न होने दें। रुके हुए पानी के स्थानों को मिट्टी से भर दें या फिर उस पानी में मिट्टी का तेल या डीजल डाल दें। जिससे मच्छर नष्ट हो जाएं। जहां तक संभव हो पूरे आस्तीन की कमीज, मौजे आदि से शरीर के हर हिस्से को ढक कर रखने की कोशिश करें। तेज बुखार होने पर चिकित्सक से संपर्क करें। मच्छरदानी में सोएं। खुले हिस्से पर मॉसक्युटो रिप्लेंट लगाएं। घर के आस-पास समय-समय पर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करवाते रहें।