कभी भाजपा के खिलाफ उतारा था प्रत्याशी आज खुद हैं BJP के उम्मीदवार
अभिनव त्रिपाठी
सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहली बार विधानसभा प्रत्याशी होंगे। वो गोरखपुर शहर सीट से चुनाव लड़ेंगे। मुख्यमंत्री के इस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने पर यहाँ की जनता में काफी ज्यादा खुशी है। हालांकि उनके लिए कोई नई जगह नहीं है पर विधानसभा चुनाव लड़ना नया है। आपको बात दें कभी इस सीट पर योगी आदित्यनाथ ने अपना प्रत्याशी बीजेपी के खिलाफ उतारा था आज वो स्वयं पार्टी के प्रत्याशी हैं ।
क्यों खास है गोरखपुर सदर सीट
आपको बता दें गोरखपुर सदर सीट पर गोरक्षपीठ मठ का बहुत ही ज्यादा प्रभाव रहता है। इसलिए जब भी यहाँ प्रत्याशियों की बात होती है तो मठ की ओर से नाम सुझाए जाते हैं और जो भी उम्मीदवार आता है उसका जीतना लगभग तय माना जाता है। क्योंकि इस सीट को लेकर एकजुटता की मिसाल दी जाती है। जिसका नतीजा ये देखने को मिला की लगातार चार बार बीजेपी के हिस्से में ही ये सीट रही। इसके अलावा बताया जा रहा है कि इसी वजह से कि योगी आदित्यनाथ को पार्टी ने इस सीट से चुनाव में उतारने का फैसला किया है।
2002 में योगी ने उतारा था अपना प्रत्याशी
ये बात साल 2002 के विधानसभा चुनाव की है जब योगी आदित्यनाथ ने बीजेपी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया था। आपको बता दें की इस सीट से आदित्यनाथ अपने करीबी राधामोहन दास को चुनाव लड़ाना चाहते थे। लेकिन बीजेपी पार्टी ने उन्हे टिकट नहीं दिया तो आदित्यनाथ बगावत पर उतर आए और राधा मोहन दास को हिंदू महासभा के प्रत्याशी के तौर पर रण में उतार दिया और खुद उनके समर्थन में बीजेपी के प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार करना शुरू कर दिए। योगी का प्रत्याशी होने का राधामोहन दास अग्रवाल को खूब लाभ मिला और उन्होंने भाजपा के जाने-माने वरिष्ठ नेता शिव प्रताप शुक्ल को चुनाव में हराया और यह सीट अपने नाम कर ली।
क्या बढ़ गई हैं राधामोहन और आदित्यनाथ में दूरियाँ
गोरखपुर सीट से चुनाव लड़ने की वजह से दास का राजनैतिक करियर क्या होगा इस पर सवाल खड़ें होने लगे है। आखिर दास को इस सीट से क्यों प्रत्याशी नहीं बनाया गया जबकि उन्होंने इस सीट पर चार बार विजय हासिल की है। इस पर खूब चर्चा हो रही है। जानकारों ने बताया की इन दिनों आदित्यनाथ और राधामोहन के रिश्ते कुछ ठीक नहीं चल रहें है उन्होंने कुछ समय पहले विवादित बयान भी दिया था इससे वो शीर्ष नेतृत्व के निशाने पे आ गए थे। ऐसे में माना जा रहा है कि उन्हे किनारे किया जा सकता है।