स्टार्टअप की शुरुआत करने में ये सरकारी योजनायें हो सकती हैं मददगार, जानें कैसे उठायें लाभ

हालिया दौर में हर क्षेत्र में स्टार्टअप्स की भरमार है। इसके पीछे दो बड़ी वजहे हैं। एक यह कि युवा स्व-व्यवसाय या उद्यमिता की ओर अधिक आकर्षित हैं और साथ ही कुछ नया करने का जुनून रखते हैं। इसके अतिरिक्त सरकार और सरकारी योजनाएं भी एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। समय की जरूरत को देखते हुए सरकार ने लगभग हर क्षेत्र के स्टार्टअप्स के लिए तमाम योजनाएं शुरू की हैं।

स्टार्टअप की शुरुआत करने

हम कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण योजनाओं के बारे में जानते हैं-

पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज के लिए योजनाएं:

प्रधानमंत्री मुद्रा योजनाः इसके अंतर्गत लघु उद्योगों को 10 लाख रुपए तक लोन दिया जाता है। हालिया मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2016-17 में इस योजना के अंतर्गत 1.8 लाख करोड़ रुपए तक के लोन दिए गए। इस अवधि में 4 करोड़ से ज्यादा लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया, जिनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं शामिल रहीं। इसके अंतर्गत 3 श्रेणियों में लोन दिए जाते हैं-

शिशुः 50 हजार रुपए तक

किशोरः 50 हजार रुपए से अधिक और 5 लाख रुपए तक

तरुणः 5 लाख रुपए से अधिक और 10 लाख रुपए तक

स्टैंड अप इंडियाः अप्रैल, 2016 से इसकी शुरूआत हुई। इसके अंतर्गत यह सुनिश्चित किया जाता है कि हर ब्रांच से कम से कम एक अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्ति और एक महिला को बैंक से लोन (10 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक) मिले।

डेयरी उद्यमिता डिवेलपमेंट स्कीमः

भारत सरकार ने गैर-संगठित क्षेत्र में मूलभूत बदलावों के उद्देश्य के साथ इस योजना को शुरू किया। कृषि, पशु-पालन और खाद्य पदार्थों के व्यवसाय से जुड़े लोग इसका लाभ उठा सकते हैं। 2014 में कृषि और ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक (नाबार्ड) की अध्यक्षता में इस योजना को शुरू किया गया।

डेयरी उद्यमिता डिवेलपमेंट स्कीमः

क्षेत्रः माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज

क्रेडिट गारंटी स्कीमः अति-लघु और लघु एंटरप्राइज के लिए क्रेडिट गारंटी योजना है। क्रेडिट डिलिवरी सिस्टम को मजबूत करने और एमएसई सेक्टर को क्रेडिट उपलब्ध कराने वाले सिस्टम को सहज बनाने के लिए, भारत सरकार ने यह योजना लॉन्च की।

परफॉर्मेंस ऐंड क्रेडिट रेटिंग स्कीमः नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन (एनएसआईसी) ने अगस्त 2016 में इसे लॉन्च किया। 1 करोड़ रुपए या इससे अधिक टर्नओवर वाली कंपनियों ही इसके योग्य हैं।

रॉ-मटीरियल असिस्टेन्स स्कीमः परंपरागत उद्योगों के विकास के लिए फंडः खादी और ग्रामीण उद्योग आयोग ने परंपरागत उद्योगों और कलाकारों के सशक्तिकरण के लिए 2005 में इस योजना को लॉन्च किया था। इसके अंतर्गत एक प्रोजेक्ट (जिसे 3 साल के भीतर शुरू करना होता है) को अधिकतम 8 करोड़ रुपए तक आर्थिक सहयोग मुहैया कराने का प्रावधान है।

रॉ-मटीरियल असिस्टेन्स स्कीमः

सिंगल पॉइंट रजिस्ट्रेशन स्कीमः नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन ने 2003 में इस योजना को लॉन्च किया, जिसके अंतर्गत रजिस्टर्ड कंपनियों को सरकारी खरीद में सहभागिता मिलती है। इसका सर्टिफिकेट 2 साल तक वैध रहता है।

ऐस्पायरः माइक्रो, स्मॉल और मीडियम इंडस्ट्रीज मिनिस्ट्री ने 2015 (मार्च) में इनोवेशन, ऑन्त्रप्रन्योरशिप और ऐग्रो-इंडस्ट्री के प्रमोशन के लिए यह स्कीम लॉन्च की।

इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट स्कीमः नेशनल स्मॉल इंडस्ट्रीज कॉर्पोरेशन ने माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज (एमएसएमई) के सामने आने वाली ऑफिस स्पेस की समस्या को सुलझाने के लिए यह योजना लॉन्च की। 467 स्कवेयर फीट से लेकर 8,657 स्कवेयर फीट तक जगह उपलब्ध कराई जाती है। इसमें 6 महीने का किराया सिक्यॉरिटी डिपॉजिट के तौर पर जमा करना होता है और जगह छोड़ने पर यह वापस मिल जाता है। इसका नोटिस पीरियड 90 दिनों का है, जबकि कोई लॉक-इन पीरियड नहीं है।

बाजार विकास सहयोग योजनाः विकास आयुक्त कार्यालय की अध्यक्षता में 2002 में माइक्रो, स्मॉल और मीडियर एंटरप्राइज के लिए यह योजना शुरू की गई।

राष्ट्रीय पुरस्कारः मंत्रालय हर साल चुनिंदा ऑन्त्रप्रन्योर और एंटरप्राइज को पुरस्कृत करता है। इसके लिए जरूरी है कि गत चार सालों में उत्पादन या सुविधाएं लगातार जारी रही हों और उनके पास उद्योग आधार ज्ञापन हो।

कॉयर (कोकोनट फाइबर) उद्यमी योजनाः इसके अंतर्गत बैंक टर्म लोन और वर्किंग कैपटिल के तौर पर कैश क्रेडिट उपलब्ध कराते हैं। बैंक आर्थिक सहयोग के रूप में प्रोजेक्ट को कम्पोजिट लोन भी उपलब्ध कराते हैं। सात सालों की अवधि के भीतर लोन की अदायगी करनी होती है।

कॉयर (कोकोनट फाइबर) उद्यमी

अंतरराष्ट्रीय सहयोग योजनाः इस योजना को 1996 में शुरू किया गया, जिसकी अध्यक्षता विकास आयुक्त कार्यालय करता है। यात्रा और पर्यटन, मानव संसाधन और विज्ञापन क्षेत्रों से जुड़े उद्योग इसका लाभ उठा सकते हैं। तकनीकी विकास के लिए क्रेडिट या ऋण आधारित सब्सिडीः इसके अंतर्गत 40 लाख रुपए से लेकर 1 करोड़ रुपए तक का लोन दिया जाता है और सब्सिडी की दर 12%-15% तक रहती है।

बैंक क्रेडिट सुविधा योजनाः इस योजना के तहत माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइज की क्रेडिट संबंधी जरूरतों का ख्याल रखा जाता है। अदायगी या लोन चुकाने की अवधि 5-7 साल की होती है। कुछ खास मामलों में यह अवधिक 11 साल तक की जा सकती है।

यह भी पढ़ें: प्राइवेट नौकरी वाले जरूर रखें इन 4 बातों का ध्यान, इमरजेंसी में नहीं होगी परेशानी

क्षेत्रः इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी

इंटरनेशनल पेटेंट प्रोटेक्शन सहयोग योजनाः इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, आईटी सुविधाओं, ऐनालिटिक्स, एंटरप्राइज सॉफ्टवेयर, तकनीकी हार्डवेयर, इंटरनेट सुविधाओं और आर्टीफिशियल इंटेलीजेंस इंडस्ट्री से जुड़े स्टार्टअप्स को अंतरराष्ट्रीय पेटेंट के आवेदन के लिए आर्थिक सहयोग मुहैया कराता है। एक आविष्कार पर 15 लाख रुपए तक या फिर पेटेंट पर खर्च की आधी राशि सहयोग स्वरूप मिलती है।

मल्टीप्लायर ग्रांट्स स्कीमः इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने 2013 (मई) में मल्टीप्लायर ग्रांट्स स्कीम(गुणक अनुदान योजना) शुरू की।  इसके अंतर्गत एक औद्योगिक इकाई हर प्रोजेक्ट के लिए 2 करोड़ रुपए (प्रोजेक्ट की समय सीमा 2 साल से कम हो) का और आद्योगिक इकाईयों के संघ को 4 करोड़ रुपए (समय सीमा- 3 साल) तक का अनुदान मिलता है।

सॉफ्टवेयर टेक्नॉलजी पार्क योजनाः इस स्कीम के तहत कानूनी सुविधाएं, डेटा कम्यूनिकेशन सर्वस, इनक्यूबेशन सुविधाएं, प्रशिक्षण और अन्य महत्वपूर्ण सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।

इलेक्ट्रॉनिक डिवेलपमेंट फंड पॉलिसीः इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने इलेक्ट्रॉनिक्स, आईटी और नैनोइलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के स्टार्टअप्स के लिए इलेक्ट्रॉनिक डिवेलपमेंट फंड (ईडीएफ) पॉलिसी शुरू की है।

इंटलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट के संबंध में जागरूकताः  संगठनों को 2-5 लाख रुपए तक का अनुदान मिलता है। यह 30 नवंबर, 2019 तक वैध है।

क्षेत्रः कृषि और ग्रामीण विकास

न्यूजेन इनोवेशन और उद्यमिता डिवेलपमेंट सेंटर स्कीम: योजना के तहत सरकार, 25 लाख रुपए तक का सीमित और वन-टाइम आर्थिक सहयोग दे रही है।

नीति आयोग के संरक्षण में: अटल इनक्यूबेशन सेंटर्स (एआईसी): अटल इनोवेशन मिशन के तहत इस सुविधा को शुरू किया गया।

क्षेत्रः कौशल विकास

उड़ान प्रशिक्षण कार्यक्रमः इसके अंतर्गत युवाओं को बेहतर रोजगार के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।

क्षेत्रः ऊर्जा और सोलर पावर

सोलर पावर प्रोजेक्ट

सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए लोनः लोन मिलने के 12 महीनों के भीतर आपको निर्माण कार्य पूरा कराना होता है।

LIVE TV