पकड़ में आई लिवर ट्यूमर होने की ‘जड़’, तुरंत शुरू करें इसका इलाज

न्यूयॉर्क: वैज्ञानिकों ने पेट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया और एंटी-ट्यूमर प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं के बीच संबंध पाया है जो लिवर कैंसर के होने की प्रक्रिया को समझने और उसके इलाज में मदद साबित हो सकता है। शोधकर्ताओं ने चूहों पर किए शोध में पाया है कि पेट में पाए जाने वाले बैक्टीरिया लिवर के एंटी-ट्यूमर प्रतिरक्षा गतिविधियों को प्रभावित कर रहे थे।

लिवर कैंसर

नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट (एनसीआई) के सेंटर फॉर कैंसर रिसर्च (सीसीआर) से इस अध्ययन के मुख्य लेखक टिम ग्रेनेट ने कहा, “विभिन्न ट्यूमर मॉडल का उपयोग करके हमने पाया है कि अगर एंटीबायोटिक दवाओं के जरिए चूहों का इलाज किया जाए और उस बैक्टीरिया को कम कर देते हैं तो लिवर की प्रतिरक्षा कोशिकाओं की संरचना बदल सकती है और लिवर में ट्यूमर वृद्धि भी प्रभावित हो सकती है।”

मनुष्यों में शरीर के कुल सूक्ष्मजीव का सबसे बड़ा अनुपात पेट में होता है। पेट के माइक्रोबायम (बैक्टीरिया का जटिल पारिस्थितिक तंत्र) और कैंसर के बीच संबंधों में व्यापक शोध के बावजूद लिवर कैंसर के गठन में पेट के बैक्टीरिया की भूमिका को कम समझा गया है।

इस शोध के लिए अध्ययनकर्ताओं ने लिवर कैंसर वाले तीन चूहों के मॉडलों का आकलन कर पाया कि जब एंटीबायोटिक ‘कॉकटेल’ का उपयोग कर पेट के बैक्टीरिया को कम कर दिया गया तो चूहों में कम और छोटे लिवर ट्यूमर ही विकसित हुए।

जांचकर्ताओं ने पाया कि एंटीबायोटिक उपचार ने चूहे के लिवर में एनकेटी कोशिकाओं नामक प्रतिरक्षा कोशिका की संख्या में वृद्धि की।

यह शोध पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित हुआ है।

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