ममता के यूपी दौरे से बीजेपी में मची खलबली

( दिलीप कुमार )

उत्तर-प्रदेश में दस फरवरी से विधान चुनाव के पहले चरण का शुरूआत होने जा रहा है। इस चुनावी रण में जहां एक ओर बीजेपी पीएम समेत दर्जनों मंत्री के साथ चुनाव प्रचार कर रही है तो वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। सपा इसे सामाजिक बदलाव के लिए एक राष्ट्रीय चेहरे की ओर इसारा कर रही है।

सपा ने सबसे बड़ी सियासी जंग में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। इस बीच, टीएमसी का कहना है कि उत्तर प्रदेश में ममता की मौजूदगी भाजपा के खिलाफ पारा बढ़ाने में मददगार शाबित होगी और इससे एक जनमत भी बनेगा कि बीजेपी को पश्चिम बंगाल के तर्ज पर यहां भी हराया जा सकता है।

आपको बता दें कि तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अध्यक्ष राज्य के प्रमुख विपक्षी दल के प्रति अपना समर्थन जताने के लिए सोमवार देर रात लखनऊ पहुंची थी।उन्होंने लखनऊ रवाना होने से पहले कोलकाता एयरपोर्ट पर पत्रकारों से  कहा, ‘मैं चाहती हूं कि यूपी में अखिलेश यादव, समाजवादी पार्टी की जीत हो और भाजपा हारे। मैं यूपी में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रही हूँ, लेकिन नैतिक रूप से अखिलेश के साथ खड़ी हूँ।ममता नें विपक्षी एकताजुटता के कमी पर निराशा भी जताई और कहा, ‘अगर विपक्षी दल एक साथ खड़े होते, तो अच्छा होता। हमने कोशिश की, लेकिन इस पर कोई जवाब नहीं मिला। अखिलेश पूरी ताकत से लड़ रहे हैं, सभी वर्गों को उनका समर्थन करना चाहिए।

बतादें कि पिछले हफ्ते ही ममता ने औपचारिक रूप से घोषणा किया था कि टीएमसी उत्तर प्रदेश से 2024 का संसदीय चुनाव लड़ेगी। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि उनकी पार्टी राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी, लेकिन सपा का समर्थन करेगी।

ममता के यूपी के प्रचार अभियान में शामिल होने पर भाजपा की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया जताई गई है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ममता पर राज्य के लोगों का अपमान करने का आरोप लगाया है और अखिलेश पर हमला बोलते हुए स्मृति ईरानी ने कहा, ‘सपा की हालत ऐसी है कि उसे यूपी के लोगों से समर्थन मांगने के लिए लोगों को बुलाना पड़ रहा है।

अमेठी की सांसद ने जेवर में एक रैली में कहा कि उनसे पूछा जाना चाहिए कि वे जिनके साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने जा रहे हैं, उन्होंने यूपी की जनता का कितना अपमान किया था। ममताजी ने बंगाल के चुनाव के दौरान कहा था कि उन्हें यूपी के लोगों से आपत्ति है। उन्होंने उन पर अराजक होने के आरोप लगाए थे। यूपी निवासी जो भगवा पहनते हैं, तिलक लगाते हैं या बनारस का पान पसंद करते हैं। उन्होंने उनकी संस्कृति, परंपराओं और उनके खानपान की आदतों का खुले तौर पर अपमान किया था। आज मैं अखिलेश से पूछना चाहती हूं कि ऐसा क्या हुआ कि उन्हें अब उनका साथ चाहिए? ऐसी क्या मजबूरी है कि अखिलेश के लिए अब ममता जरूरी हैं?

बता दें कि सपा ममता के इस यात्रा के जरिये मुख्यमंत्री योगी की पिछले महीने की गई उस टिप्पणी का मुकाबला करने की कोशिश कर रही है जिसमें उन्होंने कहा था, ‘गर्मी निकल देंगे.’

सपा प्रवक्ता राजीव राय ने ममता को राष्ट्रीय स्तर की एक ‘बड़ी नेता’ के रूप में बताया है। जिनकी लोगों के बीच में अच्छी पैठ है। उन्होंने कहा, ‘ममता ने पश्चिम बंगाल में भाजपा के खिलाफ एक बड़ी जंग लड़ी, जिसमें उन्हें प्रधानमंत्री और अन्य दिग्गज भाजपा नेताओं के हमलों का सामना कर यह सिद्ध कर दिया कि खुद को एक बड़ी ताकत के तौर पर दिखाने वाली पार्टी को भी हराया जा सकता है।

टीएमसी सूत्रों ने बताया कि ममता के यूपी दौरे के दौरान विभिन्न क्षेत्रों की प्रतिष्ठित हस्तियों के दो-तीन प्रतिनिधिमंडलों के साथ उनकी बैठक तय की गई थी लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने खुद इन्हें टालने का अनुरोध किया ताकि वह अपने अभियान पर और अधिक समय दे सकें। इस तरह की बैठकें पिछले दिसंबर में उनकी मुंबई यात्रा के दौरान हुई थी।

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