16वीं सदी से इलाज लाकर डॉक्टर ने 21वीं सदी में कर दिया कमाल

नाक की सर्जरीमुंबई। हम सभी ने भारत के इतिहास के बारे में पढ़ रखा है। पूरी दुनिया में इसकी वजह से भारत की अगल ही पहचान है। फिर चाहे बीते जमाने का आर्किटेक्ट हो या चिकित्या प्रणाली। सभी बेजोड़ हैं। मुम्बई स्थित एक अस्पताल के डॉक्टर ने भी 16वीं सदी में इजाद की गई एक सर्जरी की मदद से तो कमाल ही कर दिया।

बिना नाक की हड्डी के पैदा हुई 18 साल की कोमल ढाले का पूरा परिवार उसके बचपन से इलाज के लिए परेशान था। इलाज हुआ भी। नाक की सर्जरी तक की गई। लेकिन सफल न हो सकीं। माथे पर निशान अगल से छोड़ गईं। आखिरकार मदद मिली वो भी 16वीं सदी में इजाद की गई एक सर्जरी से।

2 बार माथे की सर्जरी कर कोमल की नाक को शेप में लाने की कोशिश की। इससे उसकी नाक तो ठीक नहीं हुई, बल्कि उसके माथे पर टांकों के निशान पड़ गए। इसके बाद गोकुलदास तेजपाल अस्पताल के सीनियर प्लास्टिक सर्जन के पास कोमल के माता पिता पहुंचे।

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डॉ. नितिन मोकल ने को भी समझने में लगा। कुछ ही समय में अहसास हो गया कि कोमल के केस में राइनोप्लास्टी संभव नहीं है। इसके बाद डॉ. मोकल ने नाक की सर्जरी का समाधान ढूंढने के लिए पुरानी किताबें पलटनी शुरू की।

डॉ. मोकल ने सर्जरी का 500 साल पुराना तरीका टैगलिआकजी इस्तेमाल करने का फैसला लिया। इस तरीके का आविष्कार 16वीं सदी में एक इतालवी सर्जन ने किया था। इस प्रक्रिया में एक महीने तक के लिए बांह को नाक से जोड़ दिया जाता है।

कोमल को 31 अगस्त को जीटी अस्पताल में भर्ती किया गया। ऑपरेशन 3 चरणों में किया गया। पहले चरण में कोमल के बाएं बांह से पीडिकल ट्यूब का निर्माण किया गया। इसमें करीब 1 महीने का समय लग गया।

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दूसरे चरण में पसली की हड्डियों के एक हिस्से को नाक में जोड़ दिया गया। आखिर 25 अक्टूबर को पीडिकल सटीक तरीके से जुड़ गया और वह अपना हाथ नीचे कर सकी। कुछ दिन में उसपर स्किन भी आ जाएगी और नाक अपने रूप में दिखने लगेगी।

कोमल ने कहा,’मैं खुश हूं कि डॉ. मोकल ने मेरा केस एक चुनौती की तरह लिया। जब मैंने इस सर्जरी के बारे में सुना तो इसके बारे में इंटरनेट पर सर्च किया। मैंने पहले भी कई डॉक्टर्स को दिखाया है, लेकिन किसी ने इस तरह से नाक की सर्जरी के बारे में नहीं बताया था।’

इससे पहले अहमदनगर में ही दो बार उसकी फोरहेड फ्लैप सर्जरी हुई। सर्जरीज सफल नहीं हुईं, कोमल के माथे पर निशान भी छोड़ गईं। नाक और माथे पर दाग की वजह से कोमल ने लोगों से दूरी बनाने लगी थी।

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