जामिया में मनाया गया सर्जिकल स्ट्राइक डे, डॉक्यूमेंट्री के जरिए दिखाया गया सैनिकों का शौर्य

रिपोर्ट- मुहम्मद आसिफ

दिल्ली। दो साल पहले आज ही के दिन भारतीय सैनिकों द्वारा कश्मीर के पाकिस्तान अधिकृत इलाक़े में घुस कर आतंकियों के कैंप उड़ा देने वाले भारतीय सैनिकों के जाबाज़ कारनामे को सलाम करने के लिए जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) में आज जोश के साथ सर्जिकल स्ट्राइक डे मनाया गया। इस मौक़े पर जेएमआई परिसर में बड़ी संख्या में अध्यापक, कर्मचारी और छात्र एकत्र हुए।

परेड

जामिया में सर्जिकल स्ट्राइक डे के कार्यक्रम में विशेष अतिथि के तौर पर रिटायर्ड कर्नल गोपाल सिंह पहुंचे। उन्होंने कहा कि जेएमआई में जिस जोश के साथ सर्जिकल स्ट्राइक डे मनाया जा रहा है उससे वह भाव विभोर हैं।  मुख्य कार्यक्रम शुरू होने से पहले कर्नल सिंह की अगुवाई में जेएमआई परिसर में स्थित ब्रिगेडियर उस्मान की कब्र पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।

ब्रिगेडियर उस्मान आज़ाद भारत के पहले सबसे बड़े सैन्य पदक महा वीर चक्र से सम्मानित व्यक्ति हैं। उन्होंने 1947-48 में जम्मू कश्मीर पर किए गए पाकिस्तान के हमले को नाकाम करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। पाकिस्तान के कब्ज़े से सामरिक महत्व वाले पुंछ के झांगर क्षेत्र को मुक्त कराते हुए वह शहीद हुए थे। देश का बंटवारा होने पर ब्रिगेडियर उस्मान को पाकिस्तान ने अपना सेना प्रमुख बनाने की पेशकश की थी जिसे उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया था।

सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल सैनिकों के सम्मान में जेएमआई के एनसीसी और एनएसएस के तक़रीबन 500 कैडट्स ने परैड निकाली और तिरंगे को सलामी दी।

इस मौके पर एक डाक्यूमेंटरी भी दिखाई गई जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में विस्तार से बताया गया है कि इसे कैसे अंजाम दिया गया। इस अवसर पर जेएमआई छात्रों ने पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र में घुस कर वहां पाकिस्तानी सेना की निगरानी में चल रहे आतंवादियों के शिविर को उड़ा देने वाले सैनिकों के नाम कार्ड बनाए और संदेश भी लिखे। इन संदेशों और कार्ड्स को दिल्ली के धौलाकुआं स्थित सेना के मुख्यालय भेजा गया।

ग़ौरतलब है कि पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र से आतंकवादी भारतीय इलाकों में घुसपैठ करके आए दिन आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। हद तब हो गई जब 18 सितंबर 2016 को नियंत्रण रेखा पार करके आए आतंकवदियों ने उरी क्षेत्र में भारतीय सेना के कैंप पर हमला कर दिया जिसमें 19 सैनिक शहीद हुए।

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इस घटना के बाद  भारतीय सेना ने पाकिस्तान क़ब्ज़े वाले इलाकों में घुस कर वहां बने आतंकवादियों के शिविर को नेस्तोनाबूद करने का फैसला किया। 29 सितंबर 2016 को भारतीय सैनिकों ने नियंत्रण रेखा पार करके, पाकिस्तान के क़ब्ज़े वाले इलाकों में बहुत भीतर तक घुस कर वहां मौजूद आतंकी शिविर की धज्जियां उड़ा दी। इसमें बड़ी संख्या में आतंकी ढेर हुए। पाकिस्तानी सैनिकों की मौजूदगी के बावजूद भारत के जांबाज़ जवान अपने काम को सफलता से अंजाम देकर वापस लौट आए।

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