भारत में कोविड-19 मामलों में उछाल: इतने हुए सक्रिय मामले, केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित

31 मई 2025 तक, भारत में कोविड-19 मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, सक्रिय मामले बढ़कर 2,710 हो गए हैं, जो 19 मई को 257 मामलों की तुलना में पांच गुना वृद्धि दर्शाता है।

इस उछाल के पीछे ओमिक्रॉन के दो नए सब-वेरिएंट्स LF.7 और NB.1.8.1 माने जा रहे हैं, हालांकि JN.1 अभी भी प्रमुख स्ट्रेन है। पिछले 24 घंटों में सात मौतें दर्ज की गईं, जिससे 2025 के पहले पांच महीनों में कुल मृत्यु संख्या 22 हो गई है।

राज्यवार स्थिति

  • केरल: 1,147 सक्रिय मामलों के साथ सबसे ज्यादा प्रभावित, जो राष्ट्रीय आंकड़ों का लगभग 42% है। इस महीने दो मौतें दर्ज की गईं। 19 मई को 95 मामले थे, जो 26 मई तक 430 और अब 1,147 हो गए हैं।
  • महाराष्ट्र: 424 सक्रिय मामले, पिछले सप्ताह 154 नए मामले और 24 घंटों में दो मौतें। मुंबई, पुणे और ठाणे हॉटस्पॉट हैं। ठाणे में एक 21 वर्षीय मरीज की मधुमेह केटोएसिडोसिस के साथ मृत्यु हुई।
  • दिल्ली: 294 सक्रिय मामले, पिछले सप्ताह 99 नए मामले और 24 घंटों में एक मृत्यु। 19 मई को केवल पांच मामले थे।
  • गुजरात: 223 सक्रिय मामले, जिनमें LF.7 वेरिएंट के चार मामले शामिल हैं। पिछले 24 घंटों में एक मृत्यु।
  • कर्नाटक: 148 सक्रिय मामले, मुख्य रूप से बेंगलुरु में। पिछले 24 घंटों में एक 85 वर्षीय पुरुष की मल्टी-ऑर्गन फेल्योर से मृत्यु हुई।
  • तमिलनाडु: 148 सक्रिय मामले, एक मृत्यु। NB.1.8.1 वेरिएंट की पहचान अप्रैल 2025 में यहीं हुई थी।
  • पश्चिम बंगाल: 116 सक्रिय मामले, कोलकाता प्रमुख हॉटस्पॉट।
  • अन्य राज्य: उत्तर प्रदेश (15 मामले, नोएडा में 19), पंजाब (फिरोजपुर में हालिया मामला), और हरियाणा में कम मामले। अंडमान-निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, असम, बिहार, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में कोई सक्रिय मामले नहीं हैं।

ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट्स का प्रभाव

भारतीय SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) ने दो नए ओमिक्रॉन सब-वेरिएंट्स LF.7 और NB.1.8.1 की पहचान की है, जो इस उछाल में योगदान दे रहे हैं। ये वेरिएंट विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा Variants Under Monitoring (VUMs) के रूप में वर्गीकृत हैं। ये अधिक संक्रामक हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में हल्के लक्षण पैदा करते हैं।

  • LF.7: गुजरात में चार मामले, लक्षणों में गले में खराश, खांसी, बुखार और थकान शामिल।
  • NB.1.8.1: तमिलनाडु में अप्रैल 2025 में पहली बार देखा गया, इसमें स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन (A435S, V445H, T478I) हैं, जो संक्रामकता और इम्यून इवेजन बढ़ा सकते हैं।
  • JN.1: 53% नमूनों में प्रमुख स्ट्रेन, इसके बाद BA.2 (26%) और अन्य ओमिक्रॉन सब-लाइनेज (20%)।

लक्षणों में गले में खराश, हल्का बुखार, खांसी, थकान, सिरदर्द, नाक बंद होना और कभी-कभी मतली या दस्त शामिल हैं। स्वाद या गंध की हानि अब कम आम है। विशेषज्ञों ने लक्षण 3-4 दिनों से अधिक रहने पर रैपिड एंटीजन या RT-PCR टेस्ट की सलाह दी है।

मौतें और गंभीरता

पिछले 24 घंटों में सात मौतें हुईं: महाराष्ट्र (2), दिल्ली (1), गुजरात (1), कर्नाटक (1), पंजाब (1), और तमिलनाडु (1)। अधिकांश मृत्यु सह-रुग्णता (comorbidities) वाले व्यक्तियों में हुईं, जैसे कर्नाटक में 85 वर्षीय मरीज और महाराष्ट्र में 21 वर्षीय मधुमेह रोगी। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कहा कि इन वेरिएंट्स की गंभीरता कम है, और अधिकांश मामले घर पर प्रबंधनीय हैं। अस्पताल में भर्ती की दर नगण्य है।

सरकारी प्रतिक्रिया और सलाह

  • केंद्र सरकार: स्वास्थ्य मंत्रालय ने जीनोमिक निगरानी और दैनिक रिपोर्टिंग तेज कर दी है। स्वास्थ्य सचिव पुन्या सलिला श्रीवास्तव ने ICMR, DGHS, और NCDC के साथ स्थिति की समीक्षा की, यह सुनिश्चित करते हुए कि अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन, और दवाएं उपलब्ध हैं।
  • केरल: स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने अस्पताल कर्मचारियों के लिए मास्क अनिवार्य किया और समुदाय से सतर्कता बरतने को कहा।
  • दिल्ली: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है, अस्पतालों को अलर्ट पर रखा गया है, और संसाधन पर्याप्त हैं। कोविड से संबंधित मृत्यु के लिए लंबित मुआवजे के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित किया गया है।
  • कर्नाटक: गर्भवती महिलाओं, बच्चों, और सह-रुग्णता वाले लोगों के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों पर मास्क और सैनिटाइजर उपयोग की सलाह दी गई।
  • तेलंगाना: अधिकारियों को श्वसन रोगों और वेक्टर-जनित रोगों के साथ कोविड-19 की निगरानी करने का निर्देश दिया गया।

विशेषज्ञों की राय

ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा, “गंभीरता आम तौर पर कम है। चिंता की कोई बात नहीं है।” डॉ. अरूप हलदर, एक पल्मोनोलॉजिस्ट, ने उछाल को कमजोर इम्यूनिटी और असमान बूस्टर कवरेज से जोड़ा। कर्नाटक के कोविड सलाहकार डॉ. विशाल राव ने गैर-टीकाकृत और सह-रुग्णता वाले लोगों के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी। मौजूदा टीके और बूस्टर गंभीर बीमारी के जोखिम को 80% तक कम करते हैं।

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