मणिपुर फर्जी एनकाउंटर पर सुप्रीम कोर्ट 20 अगस्त को करेगा अगली सुनवाई

नई दिल्ली। मणिपुर में न्यायिक हिरासत में हत्याओं के करीब 1528 मामलों की जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 जुलाई को मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों के मामलों में प्राथमिकी दर्ज करने और इनकी जांच करने का आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट मणिपुर में सेना, असम राइफल्स और पुलिस पर हत्या के आरोपों के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई को राजी हो गया है। इस मामले में 350 सैन्य अधिकारियों की ओर से वकील ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट में याचिका दाखिल की।

 

उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि आंतकवाद निरोधक अभियान के दौरान हुई मुठभेड़ की पुलिस या सीबीआई जांच से सेना का मनोबल टूटता है। वहीं, अफस्पा प्रोटेक्शन के अंतर्गत सशस्त्र बलों को मिले अधिकारों में कमी किए जाने से सैन्य बलों की कार्यक्षमता प्रभावित होगी, जो कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। मामले में अगली सुनवाई 20 अगस्त को होगी।

दरअसल, सैन्य अधिकारियों की ओर से यह याचिका उस वक्त आयी, जब सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वो मणिपुर में पिछले दो दशकों के दौरान उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र में तैनात हर उस अफसर के खिलाफ केस दर्ज करे और उसके खिलाफ मुकदमा चलाएं, जिस पर न्यायिक हिरासत के दौरान हत्या का आरोप है। कोर्ट के इस आदेश का सैन्य अफसर विरोध कर रहे हैं और अब इसे चुनौती दी गयी है।

कोर्ट ने पिछली सुनवाई में निर्देश दिया था कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दो अधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक महेश भारद्वाज और पुलिस उपाधीक्षक रवि सिंह को उस एसआईटी का सदस्य बनाया जाए जो मुठभेड़ के बचे हुए मामलों की जांच करेगी। कोर्ट ने आदेश दिया था कि सीबीआई की एसआईटी में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के दो अफसरों को भी शामिल किया जाए।

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