
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को केरल उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करते हुए हादिया और शाफिन जहां के विवाह को बहाल कर दिया। इससे पहले केरल उच्च न्यायालय ने दंपति के विवाह को आमन्य करार दिया था। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक संक्षिप्त आदेश में कहा कि एनआईए इस मामले में आपराधिक पहलुओं की जांच जारी रख सकती है।
वैसे तो लव जिहाद का मसला बड़ा पुराना और राजनीति से ओतप्रोत रहा है। लेकिन केरल के बहुचर्चित कथित लव जिहाद केस में सुप्रीम कोर्ट ने हादिया के प्रेम विवाह पर मुहर लगा दी। कोर्ट ने कहा कि हादिया को अपनी पसंद से जीवन जीने की आजादी है। कानून सम्मत वह जिंदगी से जुड़े फैसले ले सकती है।
उल्लेखनीय है कि एनआईए की जांच पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब दो वयस्क अपनी इच्छा से शादी करते हैं तो उसकी जांच कैसे हो सकती है। हां अगर सरकार को लगता है कि शादी के बाद दंपती में से कोई गलत इरादे से विदेश भागने की कोशिश कर रहा है तो सरकार उसके खिलाफ एक्शन ले सकती है।
हादिया के पति शफीन की तरफ से कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस करते हुए कहा कि अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनना हर किसी का मौलिक अधिकार है। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के पास यह अधिकार नहीं है कि वह किसी की याचिका पर ही किसी की शादी को रद्द कर दे।
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सिब्बल ने कहा कि जब तक दंपती में कोई किसी के खिलाफ शिकायत न दर्ज कराए, तब तक तीसरे को उनकी शादी पर सवाल उठाने का हक नहीं है।
विदेश भेजकर ‘मानव बम’ बनाने की थी प्लानिंग
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पिता अशोकन ने हादिया के शपथपत्र के जवाब में चौंकाने वाले दावे करते हुए कहा कि लव जिहाद का शिकार बनाकर हादिया को विदेश भेजकर ‘सेक्स स्लेव’ या ‘मानव बम’ बनाने की प्लानिंग थी।
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पिता ने कहा कि जब बेटी का मानसिक व शारीरिक स्तर पर अपहरण किया जा रहा हो, तब वह चुप कैसे रह सकते हैं।
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