सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की जाकिया जाफरी की याचिका, पीएम मोदी को मिली क्लीन चिट

सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) की क्लीन चिट को चुनौती देने वाली दिवंगत सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने एसआईटी द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जाफरी की विरोध याचिका को खारिज करने के विशेष मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने गुजरात उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और कहा कि जाफरी की याचिका में कोई दम नहीं है।

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगने के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में मारे गए 68 लोगों में एहसान जाफरी भी शामिल थे, जिसमें 59 लोग मारे गए थे और गुजरात में दंगे हुए थे।

2012 में SIT ने दाखिल की थी क्लोजर रिपोर्ट

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद SIT ने दंगों की व्यापक साज़िश के पहलू की जांच की. मुख्यमंत्री मोदी से भी अपने कार्यालय में बुला कर पूछताछ की. 2012 में SIT ने मजिस्ट्रेट के पास क्लोज़र रिपोर्ट दाखिल कर दी। SIT ने मोदी समेत 63 लोगों के साज़िश में हिस्सेदार होने के आरोप को गलत पाया. ज़किया ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में इस रिपोर्ट के खिलाफ प्रोटेस्ट पेटिशन दाखिल की। इसे मजिस्ट्रेट ने खारिज कर दिया, 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने भी मजिस्ट्रेट के आदेश को सही करार दिया।

SC बेंच ने कहा- अपील आदेश देने योग्य नहीं

मामले की सुनवाई के दौरान ज़किया की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बहस की थी,उन्होंने SIT पर सबूतों की अनदेखी का आरोप लगाया था। वहीं SIT के लिए मुकुल रोहतगी ने पक्ष रखा था, रोहतगी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि याचिकाकर्ता मामले में पीएम मोदी का नाम जुड़ा होने के चलते इसे खींचते रहने की कोशिश कर रहे हैं। रोहतगी ने याचिकाकर्ता की मंशा पर सवाल ठगते हुए कहा था, “अगर इन्हें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुई जांच पर भी भरोसा नहीं है, तो क्या अब स्कॉटलैंड यार्ड (ब्रिटिश पुलिस मुख्यालय) की जांच टीम को बुलाने की मांग करना चाहते हैं?”

मामले पर फैसला आज जस्टिस ए एम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सी टी रविकुमार की बेंच ने फैसला दिया. बेंच ने कहा कि अपील आदेश देने योग्य नहीं है। इस टिप्पणी के साथ ज़किया की अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना है कि मामले में मजिस्ट्रेट का आदेश सही था, उन्होंने सभी पहलुओं को देखने के बाद उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए आदेश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने SIT के कामकाज की तारीफ की है, साथ ही यह भी कहा है कि इस मामले को जानबूझकर लंबा खींचा गया, कुछ लोगों ने न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर प्रयास किया कि मामला चर्चा में बना रहे। हर उस व्यक्ति की ईमानदारी पर सवाल उठाए गए, जो मामले को उलझाए रखने वाले लोगों के आड़े आ रहा था। न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग कर अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने वाले लोगों पर उचित कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।

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