#नवरात्रि स्पेशल: SUNDAY को करें मां कूष्मांडा की पूजा, नहीं सताएंगे रोग व शोक

l_kushmanda-1460184067एजेन्सी/रविवार (10 अप्रेल 2016) को देवी के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा होगी। यह देवी का चतुर्थ स्वरूप है। इस रूप में मां अपने भक्त को रोग और शोक से सुरक्षित रखती हैं। उनका स्मरण लंबी आयु, शुभ कार्य में यश, बल एवं बुद्धि प्रदान करता है। 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उनकी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड उत्पन्न हुआ था। जब चारों ओर अंधकार का साम्राज्य था, तब देवी से ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। 

इस स्वरूप में मां की आठ भुजाएं हैं। वे अपने हाथों में कमंडल धनुष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र एवं गदा रखती हैं। इनके आठवें हाथ में समस्त सिद्धियां प्रदान करने वाली जपमाला विराजमान है। भगवान शिव के समान ये भी अपने भक्त पर शीघ्र कृपा करती हैं।

इन मंत्रों से शीघ्र प्रसन्न होंगी मां (देखें वीडियो)

ध्यान 

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्। 

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥ 

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्। 

कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥ 

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्। 

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥ 

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्। 

कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥ 

स्तोत्र पाठ 

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्। 

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ 

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्। 

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥ 

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्। 

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥ 

कवच 

हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्। 

हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥ 

कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम। 

दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु॥

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