
नई दिल्ली। कोर्ट रूम में उस समय अजीब स्थिति उत्पन्न हो गई जब बीएसपी की याचिका पर पैरवी कर रहे कांग्रेस नेता व वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से ही बेंच ने सवाल पूछने शुरू कर दिये। कोर्ट ने कांग्रेस के रुख पर सवाल उठाते हुए सिब्बल से पूछा कि क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के समय लॉन्च नहीं किया गया?
बेंच ने सिब्बल से पूछा कि केंद्र में कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार ने ही ईवीएम का इस्तेमाल शुरू कराया था, फिर अब इसका विरोध क्यों कर रही है। इस पर सिब्बल ने कहा कि विज्ञान और तकनीक के आधुनिकीकरण के साथ ही ईवीएम अब सुरक्षित नहीं रही और उनके साथ छेड़छाड़ या हैकिंग की जा सकती है।
सिब्बल ने कहा कि जब पेंटागन (अमेरिकी रक्षा मंत्रालय) को हैक किया जा सकता है तो ईवीएम समेत कोई भी चीज हैक हो सकती है। उन्होंने कहा कि मशीनों की कार्यप्रणाली की फिर से जांच की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बीएसपी की तरफ से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र और चुनाव आयोग से पूछा है कि क्या इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनें टैंपरप्रूफ हैं? बीएसपी ने अपनी याचिका में ईवीएम को टैंपरप्रूफ बनाने के लिए वोटिंग मशीनों में वोट वेरिफायर पेपर ऑडिट ट्रायल (VVPAT) लगाना अनिवार्य करने के लिए कोर्ट से निर्देश देने की मांग की है।
जस्टिस जे. चेलमेश्वर की अगुवाई वाले बेंच ने केंद्र और आयोग से बीएसपी के आरोपों पर 8 मई तक जवाब देने को कहा है। बीएसपी ने आरोप लगाया है कि ईवीएम के साथ छेड़छाड़ हो सकती है और पेपर ट्रायल अनिवार्य किया जाना चाहिए।