राष्ट्रगान: सिनेमाघर में मिली राहत लेकिन यहां सम्मान देना जरूरी

राष्ट्रगान बजानानई दिल्ली। अब सिनेमाघर में फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाना जरूरी नहीं होगा। राष्ट्रगान बजाने के अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने बदलाव कर दिया है। नवंबर 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना और खड़े होना अनिवार्य कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला केंद्र सरकार की ओर से भेजे गए एक हलफनामे के बाद लिया है।

भले ही अब सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना और खड़े होना अनिवार्य ने हो लेकिन यहां पूरा राष्ट्रगान गाना आवश्यक है। आइए जानते हैं किन-किन जगहों पर राष्ट्रगान गाना आवश्यक है…

गृह मंत्रालय के अनुसार सिविल और सैनिक सम्मान समारोह के अवसर पर राष्ट्रगान बजाना आवश्यक है।

राष्ट्रपति या राज्यपाल को राष्ट्रीय सिलूट देते वक्त भी राष्ट्रगान बजाना आवश्यक है।

आकाशवाणी से राष्ट्र के नाम राष्ट्रपति के संदेश प्रसारित होने से ठीक पहले और बाद में राष्ट्रगान बजाया जाता है।

वहीं प्रधानमंत्री के लिए राष्ट्रगान नहीं बजाया जाएगा, जबकि कुछ अवसरों में बजाया जा सकता है।

परेड के समय राष्ट्रगान गाना आवश्यक है, चाहे उस वक्त गणमान्य व्यक्तियों में से कोई उपस्थित हो या ना हो। साथ ही ऑफिशियल सरकारी समारोह में राष्ट्रपति के आने पर या उस समारोह से जाते वक्त बजाना आवश्यक है।

जब राष्ट्रीय झंडे को परेड में लाया जाए और रेजीमेंट को निशान प्रस्तुत किया जाए, उस वक्त भी राष्ट्रगान आवश्यक है।

जब कभी राष्ट्रगान का गायन किया जाता है तो वहां मौजूद लोगों को सावधान होकर खड़े रहना चाहिए। हालांकि अगर किसी समाचार दर्शन या वीडियो के दौरान राष्ट्रगान फिल्म के अंश के रुप में बजाया जाता है तो दर्शकों से खड़े होने की अपेक्षा नहीं की जाती।

वहीं तिरंगा फहराए जाने की तरह यह भी लोगों के विवेक पर छोड़ दिया गया है कि वो राष्ट्र गान को मनमाने ढंग से गाएं या बजाएं।

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