RTI के दायरे में नहीं आता एटॉर्नी जनरल का दफ्तर – दिल्ली हाईकोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि भारत के एटॉर्नी जनरल का दफ्तर सूचना का अधिकार (RTI) के दायरे में नही आता है. कोर्ट ने कहा कि सरकार और एटॉर्नी जनरल के दफ्तर के बीच हुई बातचीत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता क्योंकि ये संवेदनशील जानकारियां देश के अहम मुद्दों से जुड़ी होती हैं।
हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस जी.रोहिणी ने अपने आदेश में कहा है कि आरटीआई के सेक्शन 2(h) के तहत एटॉर्नी जनरल का दफ्तर नहीं आता. कोर्ट ने बताया कि केंद्र सरकार और एटॉर्नी जनरल के दफ्तर की बातचीत सार्वजनिक नहीं बल्कि संवेदनशील मुद्दों से जुड़ी होती है।
हाईकोर्ट में ये याचिका मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने दायर की थी प्रशांत भूषण ने एटॉर्नी जनरल के दफ्तर में आरटीआई के जरिए सरकारी अधिकारियों और जजों की नियुक्ति से जुड़ी जानकारी मांगी थी. लेकिन एटॉर्नी जनरल के दफ्तर ने इससे जुड़ी जानकारी देने से इंकार कर दिया।
प्रशांत भूषण ने यह जानने के लिए यह याचिका दायर की थी कि ‘एटॉर्नी जनरल का दफ्तर RTI के दायरे में आता है या नहीं’ जिसपर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा था कि एटॉर्नी जनरल का दफ्तर आरटीआई के दायरे में आता है।
सिंगल बेंच के इस फैसले को डबल बेंच में चुनौती दी गई थी जिसपर डबल बेंच ने फैसला दिया कि एटॉर्नी जनरल का दफ्तर आरटीआई के दायरे से बाहर है अब देखना दिलचस्प होगा कि हाई कोर्ट के इस फैसले को प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे या नहीं।