दिल्ली हाईकोर्ट ने ख़ारिज की धार्मिक चिह्न् वाले सिक्कों पर प्रतिबंध की मांग

सिक्कों पर प्रतिबंधनई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने धार्मिक चिह्न् वाले सिक्कों पर प्रतिबंध की मांग करने वाली याचिका को गुरुवार को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि इससे देश की ‘धर्मनिरपेक्षता’ को कोई खतरा नहीं है।

कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने माता वैष्णो देवी की छवि के साथ जारी पांच रुपये के सिक्कों के मुद्दे पर सवाल उठाने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि सिक्का अधिनियम के तहत सरकार के पास ऐसे सिक्कों को जारी करने की शक्ति है।

पीठ ने कहा कि वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की रजत जयंती के अवसर पर उत्सव मनाने के लिए माता वैष्णो देवी की छवि के साथ जारी सिक्के देश के “धर्मनिरपेक्ष ढांचे को नहीं बिगाड़ेगा।”

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याचिकाकर्ता नफीस काजी की तरफ से वकील ने कहा कि सरकार द्वारा धार्मिक चिह्न् वाले सिक्कों के जारी करने से शासन का धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक छवि क्षतिग्रस्त होता है। इसके बाद अदालत ने कहा, “धर्मनिरपेक्षता यह नहीं कहती कि आप कोई उत्सव मनाने के लिए सिक्के जारी नहीं कर सकते।”

पीठ ने कहा, “धर्मनिरपेक्षता यह नहीं है कि वह (सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक) किसी भी धर्म का उत्सव नहीं मना सकते हैं। कल को अगर वह मुस्लिम या सिख धर्म से जुड़ा उत्सव मनाना चाहते हैं तो वह ऐसा कर सकते हैं..उनके पास ऐसा करने की शाक्ति है।”

यह आदेश काजी द्वारा वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर दिया गया। याचिका में कहा गया कि सरकार नियमित अंतराल पर धार्मिक चिह्न् वाले सिक्कों को जारी करके धर्मनिरपेक्ष विरोधी गतिविधियों में शामिल हो रही है।

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वकील ने कहा, “यह चिह्न् धर्मनिरपेक्ष चरित्र को कमजोर करते हैं जो संविधान की एक बुनियादी विशेषता है।”

याचिका में कहा गया था कि सरकार ने 2010 और 2013 में भी इस तरह के सिक्के जारी किए थे और इन्हें वापस लिया जाना चाहिए।

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