राहुल के अध्यक्ष बनते ही होगा बड़ा बदलाव, आएंगे युवाओं के अच्छे दिन!

राहुल गांधी पार्टीनई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी की बागडोर अब अपने हाथों में लेने जा रहे हैं, जिसके आसार पहले से साफ़ दिखाई दे रहे थे। सोमवार को राहुल ने पार्टी में अध्यक्षता हासिल करने के लिए नामांकन भी करा लिया। ऐसे में तय माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में बदलाव देखा जा सकेगा। साथ ही यह भी संभावनाए जताई जा रही है कि राहुल के हाथो में पार्टी की कमान आने के बाद युवाओं को बल मिलेगा और आगे बढ़ने का मौका भी।

खबर यह भी है कि बदलाव के तहत पुराने और वरिष्ठ नेता किनारे भी किए जा सकते हैं। राहुल द्वारा किए गए बदलावों में सबसे अहम है आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये युवा चेहरों को सामने लाना।

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खबरों के मुताबिक़ चुनाव आयोग के निर्देशों के तहत कांग्रेस पार्टी को कांग्रेस समिति के सदस्यों की पूरी सूची 31 दिसंबर से पहले सौंपना है।

पार्टी अध्यक्ष चुने जाने के बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी के दस सदस्यों का चयन किया जाएगा। इसके लिए पार्टी अधिवेशन कराना पड़ेगा जिसमें इन्हें मनोनीत किया जाएगा।

वर्किंग कमेटी ही अध्यक्ष के चुनाव पर मुहर लगाएगी। ऐसे में आयोग के निर्देशों को देखते हुए अधिवेशन इस महीने में कराना अनिवार्य हो गया है।

संभावना जताई जा रही है कि पार्टी अधिवेशन गुजरात विधानसभा चुनाव के बाद ही कराए जाएंगे। इसके बाद पार्टी पुनर्गठन की प्रक्रिया पूरी होगी।

पार्टी में शीर्ष नेतृत्व के लिए राहुल की भूमिका पर नज़र डाले तो पिछले कई वर्षों में कई युवा नेता राष्ट्रीय स्तर पर सामने भी आए हैं। कई नेताओं की भूमिकाएं बढ़ाए जाने के आसार हैं।

बता दें राहुल के कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने के बाद अब तक पार्टी की राष्ट्रीय समिति में कई युवा नेताओं को जगह दी जा चुकी है।

इनमें अमरोली (गुजरात) से विधायक परेश धनानी, मध्य प्रदेश से विधायक जीतू पटवारी (इन्हें सचिव बनाया गया है) और उत्तराखंड से विधायकी का चुनाव हार चुके प्रकाश जोशी जैसे नेता शामिल हैं। इस प्रणाली से यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के डेलीगेट का चयन किया गया।

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हिंगोली (महाराष्ट्र) से सांसद और यूथ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राजीव साटव और इस संगठन के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा उर्फ राजा बरार भी इसी प्रक्रिया से होकर गुजरे हैं।

एनएसयूआई के मौजूदा अध्यक्ष फैरोज खान (जम्मू-कश्मीर) और पूर्व अध्यक्ष रोजी जॉन राहुल गांधी द्वारा अमल में लाए गए आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये ही अपनी जमीन तैयार करने में सफल रहे। राहुल के वर्ष 2013 में उपाध्यक्ष बनने के बाद आंतरिक लोकतंत्र की प्रक्रिया को और आगे बढ़ाया गया।

राहुल द्वारा शुरू आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिये देशभर में कांग्रेस के नौ हजार डेलीगेट चुने गए हैं। इन सबने एक सुर में राहुल को अध्यक्ष बनाने की वकालत की थी।

इसके अलावा पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने भी इसी तरह की राय रखी थी। लेकिन, बताया जाता है कि आंतरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के कारण ही चुनाव कराया जा रहा है।

बताया जा रहा है कि कमान संभालने के बाद राहुल गांधी इस प्रक्रिया को लेकर ही आगे बढ़ेंगे और भविष्य में उसे और विस्तार देंगे।

उनकी पहल पर ही वर्ष 2008 में यूथ कांग्रेस और एनएसयूआई के विभिन्न पदों के लिए इस प्रक्रिया को पहली बार अपनाया गया था।

ऐसे में राहुल गांधी के सामने अब सबसे बड़ी समस्या पुराने और नए चेहरों के बीच सामंजस्य बिठाना होगा।

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नई पीढ़ी के नेताओं में रणदीप सिंह सुरजेवाला (कांग्रेस के मीडिया प्रमुख), सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, अजय माकन, सचिन पायलट, मिलिंद देवड़ा जैसे नेता हैं।

सिलचर से सांसद और महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुष्मिता देव को भी राहुल की कोर टीम में जगह देने की संभावना है।

वहीं, पुराने चेहरों में नर्मदा यात्रा पर चल रहे दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, गुलामनबी आजाद, मुकुल वासनिक, ऑस्कर फर्नांडिस, अशोक गहलोत जैसे क्षत्रप शामिल हैं।

पार्टी सूत्रों की माने तो राहुल इंदिरा-राजीव के समय के वरिष्ठ नेताओं के अनुभव का लाभ लेने की कोशिश करेंगे।

जानकारी के अनुसार कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं का मानना है कि अशोक गहलोत अब केंद्रीय संगठन में ही अपना योगदान देंगे।

इस तरह राजस्थान में सचिन पायलट को पूरी छूट मिलने की संभावना है। राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

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