हाई कोर्ट ने दी शिक्षामित्रों को बड़ी राहत, योगी सरकार को टेंशन

हाई कोर्टइलाहाबाद। हाई कोर्ट ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए शिक्षामित्रों को बड़ी राहत दी है। हाई कोर्ट ने यूपी सरकार से जवाब मांगा है कि “कोर्ट के आदेश के बाद सरकार अब तक शिक्षामित्रों को उनके मूल तैनाती वाले स्थान पर क्यों नहीं भेज रही है”? शिक्षामित्रों की तरफ से हाईकोर्ट में दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुनीत कुमार ने बेसिक शिक्षा विभाग समेत राज्य सरकार से जवाब तलब किया है।

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जानकारी के लिए बता दें कि, यूपी सरकार द्वारा इसी साल शिक्षामित्रों का मानदेय ₹10,000 मासिक कर दिया गया है, लेकिन उन्हें समायोजित होने के बाद जिस स्कूल में नियुक्ति मिली थी, उसी स्कूल में अभी भी उन्हें ड्यूटी करनी पड़ रही है। ऐसे में शिक्षामित्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि दूरदराज के इलाकों में उनकी पोस्टिंग है और ₹10,000 में उन्हें वहां जाना काफी महंगा पड़ रहा है। ऐसे में उनके लिए ड्यूटी कर पाना मुश्किल है। तनख्वाह बढ़ने से वो इस दूरी का आर्थिक बोझ उठा ले रहे थे लेकिन अब दिए जा रहे मानदेय में ऐसा कर पाना मुश्किल हो गया है।

इस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसे गंभीर विषय माना। हाईकोर्ट ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने समायोजन रद्द किया था और कहा था कि शिक्षा मित्रों को उनके मूल तैनाती वाले स्थल या जहां से वे सहायक अध्यापक के पद पर समायोजित थे वहां काम करने का विकल्प दिया जाए तो आखिरकार इस आदेश का पालन सरकार ने क्यों नहीं किया? हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है और लगभग शिक्षामित्रों के मूल तैनाती स्थल पर जाने का रास्ता साफ हो गया है।

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आपको बता दें कि, अगर यूपी सरकार ने कोर्ट के सवाल का उचित जवाब नहीं दिया तो न्यायालय की अवहेलना करने पर कोर्ट योगी सरकार पर जुर्माना भी लगा सकती है। फिलहाल सरकार की मंशा के अनुरूप शिक्षामित्र के मूल तैनाती स्थल वाले विद्यालय में लौटने के विकल्प वाला आदेश जारी किया जाएगा। बता दें कि शिक्षामित्रों के लिए सबसे बड़ी समस्या यही है कि समायोजित होने के बाद उन्हें अपने घर से काफी दूर स्थित विद्यालयों में नियुक्ति मिली थी जहां उन्हें प्रतिदिन आना जाना पड़ रहा है। उम्मीद है कि कोर्ट के इस बार की सख्ती से सरकार शिक्षामित्रों को जल्द से जल्द राहत देगी।

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