सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पर उठे सवाल, विपक्ष ने बताया कि ये भाई-भतीजों का है मिलन, लेकिन क्यों?

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने विधानसभा चुनाव से पहले मंगलवार को पांच सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का फैसला लिया, इस निर्णय संबंधी बैठक में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उपस्थित नहीं रहे। इस कारण से इन नियुक्तियों पर सवाल उठने लगे हैं। नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने एक बयान जारी कर इन नियुक्तियों को अवैधानिक और मनमाना निर्णय बताया है।

शिवराज सिह चौहान

नेता प्रतिपक्ष सिंह ने बुधवार को एक बयान जारी कर कहा, “राज्य सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों की नियुक्ति पूरी तरह अवैधानिक है, इन नियुक्तियों के जरिए भाई-भतीजों और संघ के लोगों को उपकृत किया गया है।”

उनका आरोप है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों और केंद्रीय सूचना आयोग की चयन प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाते हुए सूचना के अधिकार की मूल मंशा और उद्दश्यों को ही नष्ट कर दिया है।

उन्होंने राज्यपाल से मांग की है कि वे (राज्यपाल) न केवल सरकार के प्रस्ताव को ठुकराएं बल्कि गलत तरीके से की गई नियुक्तियों के लिए मुख्यमंत्री को तलब भी करें।

नेता प्रतिपक्ष सिह ने कहा, “नियमों को दरकिनार कर संघ से जुड़े लोगों, मंत्रियों के रिश्तेदारों, दागियों और मुख्यमंत्री की चाटुकारिता करने वाले लोगों की सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्तियां बताती हैं कि शिवराज सिह चौहान को न संवैधानिक मर्यादाओं का ध्यान है और न ही उनके प्रति कोई सम्मान है।”

राज्य सरकार ने मंगलवार को पांच सूचना आयुक्तों की नियुक्ति का फैसला लिया। तीन सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों, एक सेवानिवृत पुलिस अधिकारी व एक पत्रकार को सूचना आयुक्त बनाया है।

सिह ने कहा कि सरकार की अनियमितताओं, भ्रष्टाचार, घोटालों पर नजर रखने वाले सूचना आयोग में ही अगर व्यक्तिगत रुचियों, दागियों और विचारधारा विशेष आधारित नियुक्तियां होंगी तो फिर सूचना का अधिकार अधिनियम की मंशा ही नष्ट हो जाएगी।

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सरकार पर निगरानी रखने के लिए जनता को यह अधिकार दिया था, ताकि भ्रष्टाचार में अंकुश लगने के साथ ही सरकार के काम-काज में पारदíशता रहे।

सिह ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से भी मांग करते हुए कहा कि संवैधानिक प्रमुख होने के नाते मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार द्वारा संवैधानिक विभाग को नपुंसक बनाने का जो प्रयास किया जा रहा है,उस पर शक्ति से अंकुश लगाया जाए।

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साथ ही सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता अजय दुबे ने भी इन नियुक्तियों पर ऐतराज जताया और राज्यपाल से इन सूचना आयुक्तों की नियुक्ति को निरस्त कर शपथ न दिलाने की अपील की है।

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