प्रियंका गांधी ने संसद में अपना दिया पहला भाषण, कहा ‘यह संविधान है, संघ का विधान नहीं’

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने लोकसभा में अपना पहला संबोधन दिया और भारत के संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान बात की।

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने शुक्रवार को बतौर सांसद अपना पहला भाषण दिया। सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस की तरफ से संविधान पर बहस की शुरुआत की। चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी भी मौजूद थे । प्रियंका गांधी वाड्रा ने आरोप लगाया है कि सरकार अडानी मुद्दे पर चर्चा करने से डरती है और इसलिए वह एक रणनीति के तहत लोकसभा को चलने नहीं दे रही है।

भारतीय संविधान को अपनाने की 75वीं वर्षगांठ पर चर्चा के दौरान लोकसभा में बोलते हुए कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, “संभल के शोकाकुल परिवारों से कुछ लोग हमसे मिलने आए थे। उनमें दो बच्चे थे – अदनान और उजैर। उनमें से एक मेरे बेटे की उम्र का था और दूसरा उससे छोटा, 17 साल का। उनके पिता एक दर्जी थे। दर्जी का एक ही सपना था – कि वह अपने बच्चों को पढ़ाएगा, एक बेटा डॉक्टर बनेगा और दूसरा भी सफल होगा…पुलिस ने उनके पिता को गोली मार दी। 17 वर्षीय अदनान ने मुझे बताया कि वह बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा और अपने पिता के सपने को साकार करेगा।

यह सपना और उम्मीद उसके दिल में भारत के संविधान ने डाली थी…”प्रियंका गांधी ने अपने पहले भाषण में जाति जनगणना से भागने के लिए केंद्र पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “जाति जनगणना समय की मांग है और इससे हमें नीतियां बनाने में मदद मिलेगी।” उन्होंने कहा, “यह सरकार संविधान को कमजोर कर रही है।”

उन्होंने कहा, “…हमारा संविधान सुरक्षा कवच है। ऐसा सुरक्षा कवच जो नागरिकों को सुरक्षित रखता है, यह न्याय का, एकता का, अभिव्यक्ति के अधिकार का कवच है। यह दुखद है कि 10 साल में बड़े-बड़े दावे करने वाले सत्ता पक्ष के साथियों ने इस कवच को तोड़ने की पूरी कोशिश की है। संविधान सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय का वादा करता है। ये वादे सुरक्षा कवच हैं और इसे तोड़ने का काम शुरू हो गया है। लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए यह सरकार आरक्षण को कमजोर करने की कोशिश कर रही है।”

उन्होंने कहा, “जिनका नाम लेने में कभी आप झिझकते हैं, तो कभी धाराप्रवाह बोलते हुए खुद को बचाते हैं – उन्होंने एचएएल, भेल, सेल, गेल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, रेलवे, आईआईटी, आईआईएम, तेल रिफाइनरी और कई सार्वजनिक उपक्रम स्थापित किए। उनका नाम किताबों से मिटाया जा सकता है, भाषणों से मिटाया जा सकता है। लेकिन इस देश की आजादी में, इस देश के निर्माण में उनकी भूमिका को इस देश से कभी नहीं मिटाया जा सकता…”

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