राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के संयुक्त सत्र को किया संबोधित, सम्बोधन में कही ये प्रमुख बातें
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 18वीं संसद को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की प्रशंसा की और भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए उनके प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कश्मीर में मतदाताओं की भागीदारी और रिकॉर्ड मतदान की भी सराहना की।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने गुरुवार, 27 जून को 18वीं संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। अपने भाषण के दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में काम कर रही है।
इससे पहले दिन में, राष्ट्रपति मुर्मू का संसद भवन में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वागत किया। उनके साथ एक अधिकारी भी था जो सरकार द्वारा सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में अपनाए गए ‘सेंगोल’ को लेकर आया था। राष्ट्रपति को संसद के लॉन में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया और धनखड़, मोदी, बिरला और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने उन्हें लोकसभा कक्ष तक पहुंचाया।
राष्ट्रपति मुर्मू के संबोधन की प्रमुख बातें:
नए सदस्यों को बधाई: राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन की शुरुआत 18वीं लोकसभा के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को बधाई और शुभकामनाएं देकर की।
मतदाता भागीदारी: राष्ट्रपति ने हाल के लोकसभा चुनावों में भारी मतदान की सराहना की तथा कहा कि विश्व के सबसे बड़े चुनाव में लगभग 64 करोड़ मतदाताओं ने उत्साह और जोश के साथ भाग लिया।
कश्मीर में रिकॉर्ड मतदान: कश्मीर में रिकॉर्ड मतदान पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा, “जम्मू-कश्मीर में मतदान के दशकों पुराने रिकॉर्ड टूट गए हैं। पिछले चार दशकों से कश्मीर में बंद और हड़ताल के बीच कम मतदान हुआ। भारत के दुश्मनों ने इसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर की राय के रूप में प्रचारित किया। लेकिन इस बार कश्मीर घाटी ने ऐसी सभी ताकतों को करारा जवाब दिया…”
एनडीए सरकार की तारीफ: राष्ट्रपति मुर्मू ने प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली मौजूदा एनडीए सरकार की तारीफ करते हुए इसे स्थिर सरकार बताया। उन्होंने कहा, “देश में छह दशक बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी है। लोगों ने तीसरी बार इस सरकार पर भरोसा जताया है। लोगों को पता है कि सिर्फ यही सरकार उनकी आकांक्षाओं को पूरा कर सकती है… 18वीं लोकसभा कई मायनों में ऐतिहासिक है।”