पीएम मोदी बनाम चिदंबरम: 26/11 पर कांग्रेस की ‘कमजोरी’ का आरोप, जवाब में ‘कल्पना’ और गलत व्याख्या का पलटवार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के बीच 26/11 मुंबई आतंकी हमलों (2008) को लेकर तीखी बयानबाजी छिड़ गई है। बुधवार (8 अक्टूबर 2025) को एक रैली में पीएम मोदी ने बिना नाम लिए दावा किया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने विदेशी दबाव में सेना को पाकिस्तान पर हमला करने से रोका था।

गुरुवार को चिदंबरम ने इसका जवाब देते हुए कहा कि पीएम ने उनकी बात को “तोड़-मरोड़कर” और “कल्पना” के साथ उनके नाम से जोड़ा, जो “पूरी तरह गलत” है। यह विवाद 26/11 हमलों की नीति पर दोनों दलों के पुराने मतभेदों को फिर से उजागर करता है।

पीएम मोदी का बयान: कांग्रेस पर विदेशी दबाव का आरोप

मुंबई में एक रैली में पीएम मोदी ने कहा, “26/11 के हमलों के बाद भारतीय सेनाएं पाकिस्तान पर कार्रवाई को तैयार थीं, लेकिन कांग्रेस सरकार ने किसी विदेशी दबाव में सेना को रोका। मुंबई, भारत की आर्थिक राजधानी, को आतंकियों ने निशाना बनाया, और उस समय कांग्रेस ने कमजोरी और समर्पण का संदेश दिया। आखिर किसके दबाव में सेना को रोका गया? यह फैसला किसने लिया?” उन्होंने हालिया इंटरव्यू में एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता (संभवतः चिदंबरम) के बयान का हवाला दिया, जिसमें कथित तौर पर यह खुलासा हुआ था। मोदी ने कांग्रेस पर “आतंक के सामने घुटने टेकने” का आरोप लगाया।

चिदंबरम का पलटवार: ‘मेरे शब्द नहीं, पीएम ने की गलत व्याख्या’

कांग्रेस नेता और तत्कालीन गृह मंत्री (2008-2012) पी. चिदंबरम ने गुरुवार को एक्स पर जवाब दिया, “पीएम ने जो तीन बातें मुझ पर थोपीं, वे पूरी तरह गलत हैं। दुख की बात है कि उन्होंने कल्पना की और मेरे नाम से जोड़ दिया। यह निराशाजनक है कि मेरे शब्दों की गलत व्याख्या की गई।” चिदंबरम ने 1 अक्टूबर को न्यूज18 को दिए इंटरव्यू का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 26/11 के बाद भारत पर अंतरराष्ट्रीय दबाव था, खासकर अमेरिकी गृह विभाग से। उन्होंने बताया कि 30 नवंबर 2008 को शिवराज पाटिल के इस्तीफे के बाद उन्होंने गृह मंत्रालय संभाला था। कई बैठकों में निर्णय लिया गया कि सैन्य कार्रवाई के बजाय कूटनीतिक रास्ता अपनाया जाए, ताकि स्थिति और न बिगड़े। भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का समर्थन जुटाया, जिससे पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा।

26/11 का संदर्भ: मुंबई हमले और तत्कालीन रणनीति

26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने मुंबई में ताज महल पैलेस होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, ओबेरॉय ट्राइडेंट, नरीमन हाउस और लियोपोल्ड कैफे पर हमला किया था। 166 लोग मारे गए, और 300 से अधिक घायल हुए। हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए UN और वैश्विक मंचों का सहारा लिया। चिदंबरम ने कहा कि सैन्य कार्रवाई से क्षेत्रीय युद्ध का खतरा था, इसलिए कूटनीति को चुना गया। हालांकि, बीजेपी इसे “कमजोरी” बताती रही है, जबकि कांग्रेस इसे “जिम्मेदार निर्णय” कहती है।

राजनीतिक तकरार: बीजेपी बनाम कांग्रेस

मोदी के बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। बीजेपी ने कांग्रेस पर “आतंकवाद के सामने कमजोरी” दिखाने का आरोप दोहराया, जबकि कांग्रेस ने इसे “गलत बयान गढ़ने” की कोशिश बताया। कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “पीएम इतिहास को तोड़-मरोड़ रहे हैं। 26/11 के बाद भारत ने वैश्विक समर्थन जुटाकर पाकिस्तान को अलग-थलग किया।” बीजेपी ने जवाब में कहा कि कांग्रेस की नीति ने आतंकियों को “खुली छूट” दी। यह तकरार 2024 लोकसभा चुनाव के बाद फिर से तीखी हुई है, जब बीजेपी ने आतंकवाद पर सख्त नीति को अपनी ताकत बताया।

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