उच्च न्यायालय ने पिनाराई विजयन को एसएनसी लवलीन मामले में दोषमुक्त किया

पिनाराई विजयनकोच्चि| उच्च न्यायालय ने बुधवार को उन्हें एसएनसी लवलीन मामले से केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को दोषमुक्त करार दिया। कोर्ट के इस फैसले ने उन्हें बड़ी राहत दी। मामला कंपनी एसएनसी-लवलीन से 20 साल पहले हस्ताक्षर किए गए एक करार से जुड़ा है। उस समय विजयन राज्य के ऊर्जा मंत्री थे।

फैसला देते हुए न्यायमूर्ति पी. उबैद ने कहा कि यह सही नहीं है कि कई मंत्रियों ने ऊर्जा मंत्रालय संभाला लेकिन इनमें से एक विजयन को शिकार बनाया गया। न्यायधीश ने यह भी कहा कि विजयन को सीबीआई ने शिकार बनाया।

विजयन को दोषमुक्त करते हुए अदालत ने कहा कि केरल राज्य बिजली बोर्ड के तीन अधिकारियों को मुकदमे का सामना करना होगा।

यह मामला 1997 में एसएनसी-लवलीन के साथ तीन जेनरेटरों की मरम्मत के एक समझौते से जुड़ा है, जिससे सरकारी खजाने को कथित तौर पर 266 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।

मामले में सीबीआई ने विजयन को सातवें आरोपी के तौर पर पेश किया। इससे राजनीतिक कोहराम मच गया।

राज्य की राजधानी की सीबीआई अदालत ने 5 नवंबर, 2013 को सभी आरोपियों को बिना मुकदमा चलाए दोषमुक्त कर दिया।

एक साल बाद सीबीआई ने अदालत द्वारा इन्हें दोषमुक्त किए जाने फैसले के खिलाफ एक पुनरीक्षण याचिका दायर की।

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तब मामला कुछ न्यायाधीशों द्वारा मामले की सुनवाई नहीं किए जाने से अनिश्चिय की स्थिति में चला गया। 2016 में मुकदमा शुरू हुआ और विजयन ने जाने माने वकील हरीश साल्वे को अपने बचाव में लगाया।

मामले में पूर्व महानियंत्रक व लेखा परीक्षक (सीएजी) विनोद राय को गवाह के तौर पर सीबीआई द्वारा लाए जाने पर विजयन को साल्वे की सेवा लेने के लिए बाध्य होना पड़ा।

इस मामले में मुकदमा इस साल मार्च में खत्म हुआ और न्यायमूर्ति उबैद ने मामले में फैसले को टाल दिया।

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अपने फैसले में न्यायमूर्ति उबैद ने कहा सीबीआई को विजयन के शिकार करने के काम में लिया गया क्योंकि दूसरे मंत्री भी थी जिन्होंने एसएनसी लवलीन कंपनी के साथ सौदा किया।

सीबीआई द्वारा विजयन को आरोपी बनाए जाने पर उनकी पार्टी माकपा के नेतृत्व ने उनका बचाव किया था और कहा था कि उन्हे केरल राज्य समिति के सचिव का पद छोड़ने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह संवैधानिक पद नहीं है।

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