100 साल पुराना हुआ 1 रुपए का नोट, पहली बार नहीं हुई थी भारत में छपाई
भारतीय मुद्रा का इतिहास भी बहुत रोचक है। शायद ये बात कुछ ही लोग जानते होंगे कि 1 रुपए के नोट की शुरुआत आज से ठीक 100 साल पहले 30 नवंबर 1917 को हुई थी। एक शताब्दी बाद बहुत सारी चीजें बदल गई हैं और इस दौरान जब जब एक रुपए के नोटों की छपाई हुई, ये बदलाव उसमें भी दर्ज किए गए।
लेकिन पहली सिरीज़ के नोट अभी भी अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। शुरू में ये नोट इंग्लैंड में प्रिंट हुए थे। इस पर किंग जॉर्ज पंचम के चांदी के सिक्के की तस्वीर बाएं कोने पर छपी थी। नोट पर लिखा था कि ‘मैं धारक को किसी भी कार्यालयी काम के लिए एक रुपया अदा करने का वादा करता हूं।’ लेकिन बाद के सभी एक रुपए के नोटों पर ऐसा वाक्य नहीं लिखा जाता।
इसके पीछे आठ भारतीय लिपियों में एक रुपया लिखा होता है। मिंटेजवर्ल्ड नाम के ऑनलाइन संग्रहालय के सीईओ सुशील कुमार अग्रवाल के मुताबिक, ब्रितानी सरकार ने 19वीं शताब्दी में नोट छापने की शुरुआत की थी। इससे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल में कागज़ के नोट छापने की शुरुआत की थी। लेकिन पहला एक रुपए का नोट उन्होंने 1917 में छापा।
आज़ादी के बाद भारतीय नोटों में ब्रितानी किंग की जगह भारत के राष्ट्रीय चिन्ह तीन शेर और अशोक चक्र को जगह दी गई। एक रुपए का नोट भी अपवाद नहीं था। मिंटेजवर्ल्ड के अनुसार, पिछले सौ सालों में एक रुपए के क़रीब 125 प्रकार के नोट चलन में आए, जिन पर 28 प्रकार की डिज़ाइन थी।
अवमूल्यन का असर
- जब भारत सरकार ने अपनी मुद्रा का अवमूल्यन किया तो लेन देन में एक रुपए के नोट की अहमियत कम हुई। लेकिन एक रुपए के नोटों का दख़ल बढ़ा ही है।
- भारतीय मुद्रा में एक रुपए का नोट सबसे छोटा लेकिन शायद सबसे महत्वपूर्ण नोट है। इसे भारत सरकार सीधे जारी करती है जबकि अन्य नोट रिज़र्व बैंक जारी करता है।
- इसी वजह से इन नोटों पर भारत सरकार लिखा पाएंगे और इस पर वित्त मंत्री का हस्ताक्षर भी होता है। बाकी नोट रिज़र्व बैंक डिज़ाइन करता है।
- एक रुपए की क़ीमत होने के बावजूद, इसकी छपाई में काफ़ी खर्च आता है। इसी कारण से 1995 में, सरकार ने इसकी छपाई बंद कर दी।