किसी भी शुभ कार्य से पहले बनता है ये चिन्ह, तो मिलेंगे हैरानी भरे फायदे

पूजा या शुभहमारे धर्म में कई ऐसी मान्यताएं हैं, जो हम बचपन से देखते और सुनते आ रहे हैं. ये मान्यताएं भले हो सदियों पुरानी हों लेकिन इनका पालन आज भी लोग पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं. ऐसी ही एक मान्यता है कि किसी भी पूजा या शुभ काम से पहले स्वास्तिक बनाया जाता है.

स्वास्तिक का अर्थ है शुभ और अच्छा होना. स्वास्तिक कल्याणकारी और शुभ होता है. घर के सारे कष्टों को दूर करता है स्वास्तिक. स्वास्तिक मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी का प्रतीक चिन्ह होता है. इसलिए किसी भी पूजा को शुरू करने से पहले स्वास्तिक बनाया जाता है.

स्वास्तिक बनाने के फायदे

शास्त्रों में स्वास्तिक को विष्णु का आसन एवं लक्ष्मी का स्वरुप माना गया है. चंदन, कुमकुम अथवा सिंदूर से बना स्वास्तिक ग्रह दोषों को दूर करने वाला होता है और यह धन कारक योग बनाता है.

वास्तुशास्त्र के अनुसार अष्टधातु का स्वास्तिक मुख्य द्वार के पूर्व दिशा में रखने से सुख समृद्घि में वृद्घि होती है.

इसकी बनावट ऐसी होती है कि यह हर दिशा में एक जैसा दिखता है. अपनी बनावट की इसी खूबी के कारण यह घर में मौजूद हर प्रकार के वास्तुदोष को कम करने में सहायक होता है.

स्वास्तिक चिन्ह घर में सुख समृद्धि एवं धन में वृद्धि करता है. लोग पूजा स्थान में अथवा किसी शुभ अवसर पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाते हैं.

शुभ और लाभ में वृद्घि करने वाला होता है. वास्तुशास्त्र के अनुसार स्वास्तिक का संबंध वास्तु से है.

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