योगी की तरह मुख्यमंत्री से जनता के कल्याण की उम्मीद : मेहरू जाफर

लखनऊ। नवाबों के शहर लखनऊ में एक-दूसरे के प्रति सम्मान की भावना चेतना में विकसित हुई और जीवन की पद्धति बन गई। इसी ‘जादुई सूत्र’ ने यह शहर और इसके पास का इलाका अवध खुशहाल हुआ। पत्रकार व लेखिका मेहरु जाफर कहती हैं कि अफसोस है कि अब ऐसा कुछ नहीं रह गया है। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अन्य धार्मिक योगियों की तरह ही बिना भेदभाव के लोगों का कल्याण करने की अपेक्षा करती है। हाल ही में इस शहर पर आधारित उनकी एक किताब प्रकाशित हुई है, जहां से उनकी जड़ें जुड़ी हुई हैं।

मेहरु जाफर

बदले हालात पर चर्चा करते हुए मेहरु ने बताया, “दूसरों के प्रति सम्मान की भावना लखनऊ में जीवन के एक अभिन्न हिस्से के तौर मेरी चेतना में विकसित हुई है। इंसानों के बीच नफरत और भेदभाव को बढ़ावा नहीं देना राज्य की नीति थी। यह एक जादुई सूत्र था जिसने इस शहर और उसके आसपास के क्षेत्र को समृद्ध बनाया। जब लोगों ने एक-दूसरे पर भरोसा किया, तो बिना किसी डर के व्यापार किया और अविश्वसनीय रूप से समृद्ध बने।”

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उन्होंने कहा, “इंसानों के बीच जब सिर्फ दोस्ती, विश्वास और अंतर-निर्भरता होती है तो बाजारों में तेजी आती है। जब सार्वजनिक स्थानों, बाजार और चौक-चौराहे पर हत्या व लूटपाट होने लगती है, तो दुकानों के शटर गिर जाते हैं, सड़कें सुनसान हो जाती हैं, आम जन को नुकसान होता है और कारोबार ठप हो जाता है।”

मेहरु से पूछा गया क्या उन्होंने क्या इसलिए ‘लव एंड लाइफ इन लखनऊ : एन इमैजनरी बायोग्राफी ऑफ अ सिटी’ लिखी क्योंकि शहर “आज आर्थिक और राजीनतिक रूप से दिवालिया हो गया है।

इस पर उन्होंने कहा, “उपजाऊ सिन्धु-गंगा के मैदानी इलाकों का यह हिस्सा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर था। यह क्षेत्र अन्नदाता था। भंडार गृह या अन्न से भरा हुआ अन्नागार था। इसकी समृद्धि ने ही इसे राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाया।”

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मेहरु ने कहा, “आज, राजनीतिक सत्ता केंद्रित है। सारे रास्ते राजनीतिक राजधानी दिल्ली की ओर जाते हैं। कृषि उपेक्षित स्थिति में है और वे सभी लोग जो जो खेती कर जीविका चलाते थे, उनकी दशा भिखारी और भिक्षुकों जैसी हो गई है। आज के दौर में विकास की प्राथमिकता अजीब सी है। इंसनों को एक किनारे धकेल दिया जाता है और उनकी जगह नारेबाजी ने ले लिया है। इंसान अब कोई मायने रखते नहीं नजर आ रहे हैं। दूसरे इंसानों

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