चंद्रशेखर आजाद पर मायावती का तीखा पलटवार, आकाश आनंद की वापसी पर ऐसा तंज़

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद की आकाश आनंद पर की गई टिप्पणी पर तीखा पलटवार किया। मायावती ने चंद्रशेखर का नाम लिए बिना उन्हें और उनके जैसे संगठनों को “बरसाती मेंढक” करार दिया, जिनसे बहुजन समाज का कोई भला नहीं होने वाला। यह बयान सोमवार को उनके आधिकारिक एक्स हैंडल पर जारी किया गया।

मायावती ने कहा कि बसपा देश की एकमात्र अंबेडकरवादी पार्टी है, जो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर और कांशीराम के आत्म-सम्मान के मिशन को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक के रूप में दोबारा नियुक्त करने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि पार्टी में अनुशासन के लिए कार्रवाई और पश्चाताप पर वापसी की परंपरा रही है। “आकाश आनंद के उतार-चढ़ाव और उनकी वापसी से कुछ लोगों में बेचैनी स्वाभाविक है, लेकिन पार्टी को अवसरवादी और स्वार्थी लोगों की जरूरत नहीं।” उन्होंने चंद्रशेखर पर निशाना साधते हुए कहा, “कांग्रेस, भाजपा, और सपा जैसे दलों के इशारे पर चलने वाले संगठन, जो बसपा और बहुजन एकता को कमजोर करते हैं, बरसाती मेंढकों की तरह हैं। ऐसे नेता भले ही विधायक, सांसद, या मंत्री बन जाएं, समाज का भला नहीं कर सकते। जनता को इनसे सावधान रहना चाहिए।”

चंद्रशेखर की टिप्पणी

चंद्रशेखर आजाद ने रविवार को लखनऊ में एक कार्यक्रम में आकाश आनंद की बसपा में वापसी पर तंज कसा था। उन्होंने कहा, “जनता ने आकाश आनंद को नकार दिया है। मजबूरी में उन्हें निकाला और फिर लिया गया, क्योंकि बसपा के पास कोई विकल्प नहीं है।” चंद्रशेखर ने मायावती का सम्मान जताते हुए दावा किया कि उनकी आजाद समाज पार्टी अब कांशीराम और अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ा रही है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “बाबा साहब कहते थे कि मुर्दा लोग मिशन नहीं चलाते, और जिंदा लोग मिशन नहीं छोड़ते। अगर हमारा लक्ष्य केवल सांसद या मंत्री बनना होता, तो हमारी पार्टी के नेता कहीं न कहीं सत्ता में होते।”

आकाश आनंद को मायावती ने मई 2024 में “अपरिपक्व” बताकर राष्ट्रीय समन्वयक और उत्तराधिकारी के पद से हटा दिया था, लेकिन 2025 में उनकी वापसी कराई गई। यह कदम 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखकर माना जा रहा है, क्योंकि बसपा का दलित वोट बैंक खिसक रहा है, और चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी, खासकर नगीना लोकसभा सीट पर उनकी जीत के बाद, एक उभरता हुआ खतरा बन रही है। चंद्रशेखर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में नगीना से जीत हासिल की, जहां बसपा प्रत्याशी केवल 13,000 वोटों के साथ चौथे स्थान पर रहे।

मायावती और चंद्रशेखर के बीच यह जुबानी जंग उत्तर प्रदेश में दलित वोटों के लिए बढ़ती प्रतिस्पर्धा को दर्शाती है। मायावती जहां अनुभव और पार्टी अनुशासन पर जोर दे रही हैं, वहीं चंद्रशेखर युवा नेतृत्व और सड़क पर संघर्ष के जरिए दलितों को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं। बसपा का वोट शेयर 2012 के बाद से लगातार कम हो रहा है, और 2024 के लोकसभा चुनाव में यह 9.39% तक सिमट गया। चंद्रशेखर की बढ़ती लोकप्रियता, खासकर युवा दलितों में, मायावती के लिए चुनौती बन रही है।

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