कम गेहूं उत्पादन बना वैश्विक संकट, जानें मुफ्त राशन योजाना में क्यों की गई कटौती ?

गेहूं की कमी इस बार वैश्विक संकट बनकर उभरा है। भारत सरकार के द्वारा गेहूं निर्यात के साथ ही मुफ्त राशन में गेहूं देना इस लिए बंद करना पड़ा क्यों कि इस बार देश में गेहूं का उत्पादन पर बुरा असर पड़ा है।

सरकार का अनुमान था कि गेहूं की पैदावार 11 करोड़ टन होगी जबकि सरकारी खरीद इस साल 4.44 करोड़ टन होगी, लेकिन अब तक गेहूं महज 1 करोड़ 81 लाख टन हुआ है।

2 मई पीआईबी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित किया जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश में करीब 35 हजार किसानों से 1 लाख 47 हजार टन गेहूं खरीदा गया, जबकि बिहार के महज 318 किसानों से 1704, राजस्थान के 84 और गुजरात के महज 3 किसानों का ही गेहूं सरकारी खरीद में बिका है, जबकि तीखी गर्मी के चलते पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की पैदावार में करीब 15 से 20 फीसदी की कमी आई है।

बता दें कि केंद्र सरकार अधिक से अधिक गेहूं खरीदने के लिए सरकारी खरीद की मियाद भी 15 दिन के लिए और बढ़ा दी है। जबकि वहीं निजी कंपनियों और आढ़तियों ने सरकारी खरीद मूल्यों से ज्यादा देकर उत्तर प्रदेश में किसानों का भारी पैमाने पर गेहूं खरीद लिया है।

गौरतलब है कि भारत सरकार इस माह की शुरूआत में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था क्योंकि गर्मी के कारण उत्पादन प्रभावित हुआ है और घरेलू कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की प्रमुख क्रिस्टेलिना जॉर्जिएवा ने दुनिया में खाद्य संकट पर चिंता जताई थी। उन्होंने स्विट्जरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में मीडिया से बताचीत के दौरान कहा था कि गेहूं निर्यात बैन पर पुनर्विचार के लिए वे जल्द ही भारत से अनुरोध करेंगी। मै इस बात से वाकिफ हूं कि भारत को करीब 1 अरब 35 करोड़ लोगों का पेट भरना है।

मै यह भी जानती हूं कि गर्मी के कारण कृषि उत्पादन में कमी आ गई है, इसके बावजूद मै जल्द भी भारत से गेहूं के निर्यात के बैन पर पुर्नविचार करने का आग्रह करूंगी। हम जितना अधिक देशों को प्रेरित करने में कामयाब होंगे, उतना ही हमें इस वैश्विक संकट को खत्म करने में मदद मिलेगी।

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