दीवानों को तोहफा, वैज्ञानिकों ने लैब में बनाया ‘लव हार्मोन’

भावनाओंआज कल भाग-दौड़ भरी जिंदगी में इंसान इतना व्यस्त हो गया है वह अपनों से ही दूर होता जा रहा है. हम लोग अपने जीवन में  चीज़ों और दिखावे के बीच में ऐसा उलझे हैं कि असल भावनाओं को महसूस ही नहीं कर पा रहे हैं. इन सब के बीच सबसे ज्यादा कमी है प्यार की.

प्यार की कमी की वजह से रिश्तों में दूरियां भी आ गयी हैं. लोग एक छत के नीचे रह कर भी एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं. इसके चलते मानव शरीर में पाए जाने वाले लव हॉर्मोन यानी  ऑक्सिटॉक्सिन पर भी प्रभाव पड़ा है.

ऑक्सिटॉक्सिन का नकारात्मक पक्ष यह है कि यह एक साथ कई सारे रिसेप्टर्स को सक्रिय कर देता है जिससे कई अवांछित साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. अगर लेबर पेन में दिए जाने दौरान ऑक्सिटॉक्सिन की हाई डोज पड़ जाए या फिर लंबे समय तक इसका इस्तेमाल किया जाए तो साइड इफेक्ट के तौर पर गर्भाशय के फटने या हृदयवाहिनी संबंधित कई गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं.

ऐसे में हमारे वैज्ञानिकों ने इस समस्या का हल भी निकाल लिया है. अनुसंधानकर्ताओं ने इस लव हॉर्मोन ऑक्सिटॉक्सिन का आर्टिफीशियल वर्जन तैयार किया है जो कि असल हॉर्मोन के साइड इफेक्ट्स से मीलों दूर है.

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यह हॉर्मोन भले ही आर्टिफीशियल हो लेकिन असल हॉर्मोन से कहीं ज्यादा कारागार है. जर्नल साइंस सिगनलिंग में अनुसंधानकर्ताओं ने लिखा है कि ऑटिज्म, माइग्रेन, स्कीटजोफ्रीनिया, ऐग्जाइटी और स्ट्रेस जैसे हाई-प्रोफाइल बीमारियों के इलाज में भी ऑक्सिटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है.

यह हॉर्मोन लेबर पेन को नियंत्रित कर हमारे मौलिक सामाजिक व्यवहार जैसे मातृ देखभाल, साझेदारी संबंध, सामाजिक संपर्क, तनाव और चिंता की प्रतिक्रिया देता है.

वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने जो नया यौगिक पदार्थ विकसित किया है वह ऑक्सिटॉक्सिन जितना ही प्रभावकारी है. ऑक्सिटॉक्सिन रिसेप्टर के लिए इसकी चयनात्मकता बेहतर है. ये संभावित साइड इफेक्ट्स को बेहद कम करता है.

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उनका यह भी कहना है कि इसके इस्तेमाल से मां और बच्चे दोनों की बेहतर सुरक्षा के संकेत मिलते हैं. इससे हृदय की मांसपेशियों के सेल्स सक्रिय नहीं हुए और गर्भाशय के टीशूज़ में सिकुड़न का पैटर्न नियमित रहा.

जर्नल साइंस सिगनलिंग में अनुसंधानकर्ताओं ने लिखा है कि ऑटिज्म, माइग्रेन, स्कीटजोफ्रीनिया, ऐग्जाइटी और स्ट्रेस जैसे हाई-प्रोफाइल बीमारियों के इलाज में भी ऑक्सिटॉक्सिन का इस्तेमाल किया जाता है.

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