नकदी की कमी लोगों की आय नहीं बढ़ने का नतीजा : एसबीआई
मुंबई। देश में जारी नकदी की कमी को लेकर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने बुधवार को कहा कि इसका संभावित कारण वित्त वर्ष 2017-18 में लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी नहीं होना है।
इसके साथ ही पिछले वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में लोगों ने एटीएम से अधिक नकदी निकाली है, जिससे नकदी की किल्लत हुई है। बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष द्वारा तैयार की गई एसबीआई इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018 के मार्च तक अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन 18.29 लाख करोड़ रुपये तक था, जो कि नोटबंदी से पहले प्रचलन में रही मुद्रा से भी अधिक है। नोटबंदी से पहले अर्थव्यवस्था में 17.98 लाख करोड़ रुपये नकदी का चलन था।
सरकार ने कुछ क्षेत्रों में नकदी की कमी के लिए ‘असामान्य मांग’ को दोषी ठहराया है और मंगलवार को घोषणा की कि 500 रुपये के नोट पांच गुना अधिक छापे जाएंगे।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है, “वित्त वर्ष 2018 में लोगों की आय बढ़ने की रफ्तार में गिरावट रही, खासतौर से दूसरी तिमाही में। साथ ही यह संकेत भी मिलता है कि 2,000 रुपये के नोट अर्थव्यवस्था में पर्याप्त चलन में नहीं हैं।”
घोष ने कहा, “हमारे आंतरिक अनुमान से पता चलता है कि बिहार, गुजरात और दक्षिणी राज्यों में लोगों की आय में बढ़ोतरी राष्ट्रीय औसत से कम हुई है।”