जानिए लखनऊ सहित इन शहरों में चांद निकलने का समय, करवाचौथ व्रत का पारण मुहूर्त

हर साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाता है, सुहागिन महिलाएं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति और पति की दीर्घायु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है। कहा जाता है कि, विधि पूर्वक इस व्रत को करने से पति को लंबी आयु मिलती है… और करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास रखती हैं,और शाम में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत को तोड़ती है। तो, आइए जानते हैं करवाचौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन सामग्री और पूजा विधि

पंचांग के अनुसार, इस साल कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 13 अक्टूबर को रात 1 बजकर 59 मिनट पर होगी, वहीं अगले दिन 14 अक्टूबर को सुबह 3 बजकर 8 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, करवा चौथ का व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा।

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
अमृत काल मुहूर्त- शाम 04:80 मिनट से लेकर शाम 05:50 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:21 मिनट से लेकर दोपहर 12:07 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- शाम 04:17 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 05:06 मिनट तक
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- शाम 05:46 मिनट से 06:50 मिनट तक

चांद निकलने का समय

जम्मू- 08 बजकर 08 मिनट पर

दिल्ली- 08 बजकर 07 मिनट पर

मुंबई 08 बजकर 51 मिनट पर

हरियाणा- 08 बजकर 10 मिनट पर

नोएडा- 08 बजकर 06 मिनट पर

गाजियाबाद- 08 बजकर 06 मिनट पर

लखनऊ- 07 बजकर 59 मिनट पर

कानपुर- 08 बजकर 02 मिनट पर

प्रयागराज- 07 बजकर 57 मिनट पर

गोरखपुर- 08:00 बजे

अयोध्या- 07 बजकर 55 मिनट पर

मथुरा 08 बजकर 12 मिनट पर

वाराणसी- 07 बजकर 55 मिनट पर

गोंडा- 07 बजकर 53 मिनट पर

देहरादून- 08 बजकर 02 मिनट पर

हरिद्वार- 08 बजकर 05 मिनट पर

जयपुर- 08 बजकर 22 मिनट पर

जोधपुर- 08 बजकर 33 मिनट पर

करवा चौथ की पूजा विधि
मान्यताओं के अनुसार, करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें… इसके बाद मंदिर की साफ-सफाई करके दीपक जलाएं फिर देवी-देवताओं की पूजा अर्चना करें और निर्जला व्रत का संकल्प ले…और शाम के समय दोबारा स्नान के बाद जिस स्थान पर आप करवा चौथ का पूजन करने वाले हैं वहां। गेहूं से फलक बनाएं और उसके बाद चावल पीसकर करवा की तस्वीर बनाएं… जिसके बाद आठ पूरियों की अठवारी बनाकर उसके साथ हलवा या खीर बनाएं और पक्का भोजन तैयार करें। इस पावन दिन शिव परिवार की पूजा अर्चना की जाती है… ऐसे में आप पीले रंग की मिट्टी से गौरी कि मूर्ति का निर्माण करें, और साथ ही उनकी गोद में गणेश जी को विराजित कराएं।अब मां गौरी को चौकी पर स्थापित करें और लाल रंग कि चुनरी ओढ़ा कर उन्हें शृंगार का सामान अर्पित करें। गौरी मां के सामने जल भर कलश रखें और साथ ही टोंटीदार करवा भी रखें जिससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जा सके। इसके बाद विधि पूर्वक गणेश गौरी की विधिपूर्वक पूजा करें और करवा चौथ की कथा सुनें। कथा सुनने से पहले करवे पर रोली से एक सतिया बनाएं और करवे पर रोली से 13 बिंदिया लगाएं, साथ ही कथा सुनते समय हाथ पर गेहूं या चावल के 13 दाने लेकर कथा सुनें, और पूजा करने के बाद चंद्रमा निकलते ही चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें इसके बाद पति के हाथों से पानी पीकर अपने व्रत का पारण करें।

करवा चौथ के व्रत की कथा
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा । रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा । इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है । चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं भोजन करूंगी। साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ । जिसके बाद साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी । घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। जिसपर उसकी भाभियों ने उसे मना किया लेकिन, साहूकार की बेटी ने भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया । इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए, गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया । साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया ।

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