नियमों के फंदे में फंसा सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट, ‘किल टू वेस्ट मशीन’ को नहीं मिली मंजूरी

देहरादून। सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत जिस कचरा खत्म करने वाली मशीन को देहरादून में रिस्पना (ऋषिपर्णा) नदी के किनारे लगाया गया था। उस पर नगर निगम और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी इसकी अनदेखी की हैं। सरकार या तो अंजान थी, या हो सकता है कि सरकार अपनी हनक में रही और सरकारी नियम कानूनों ने सरकार को घुटनों के बल बैठने को मजबूर कर दिया।

ड्रीम प्रोजेक्टसीएम रावत ने जिस ड्रीम प्रोजेक्ट ‘किल टू वेस्ट मशीन’ का उदघाटन किया उसे देहरादून नगर निगम ने बंद करवा दिया है। जिसका कारण यह बताया गया है कि कूड़ा जलाने वाली मशीन को लगाने के लिए सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी नहीं ली गई।

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रिस्पना को ऋषिपर्णा बनाने की कवायद के तहत लगाई गई किल टू वेस्ट मशीन की खूबी के बारे में बताया गया था कि कि ये 100 किलो कूड़े को 10 किलो कचरे में बदल देगी।

बहरहाल सीएम के उदघाटन के दो दिन बाद ही मशीन को नगर निगम ने बंद करवा दिया है। नगर आयुक्त का कहना है कि जब तक मशीन बनाने वाली कंपनी अपने दावों को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से प्रमाणित नहीं करवाती तब तक मशीन बंद रहेगी।

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इस पूरे मामले में अब रावत सरकार पर सवाल उठने लगे है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की मंजूरी के बिना ही ‘किल टू वेस्ट मशीन’ की स्थापना क्यों की गई. बहरहाल सच चाहे जो भी हो किल-टू-वेस्ट मशीन को लेकर सरकार की किरकिरी जरूर हो गई है।

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