Crime : सोने की चमक ने तय करवाया केनपम्मा से मल्लिका साइनाइड बनने तक का सफर

*गौरव शुक्ला

कर्नाटक की पहली महिला सीरियल किलर जिसे मौत की सजा दी गई उसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं। मल्लिका साइनाइड के तौर पर मशहूर इस महिला सीरियल किलर का असली नाम केनपम्मा था। पुलिस ने मिले सबूत के आधार पर इसके द्वारा किए गए 6 कत्ल का पता लगाया। जबकि मल्लिका के हाथों इससे भी ज्यादा कई कत्ल हुए थे। रिपोर्टस की माने तो उसने 20 से ज्यादा कत्ल किए, लेकिन अदालत में सबूत के आधार पर सिर्फ 6 कत्लों का ही पता लग सका।

KD Kenpumma Cynide Mallika
फाइल फोटो- केनपम्मा उर्फ साइनाइड मल्लिका

धर्म-कर्म बना कमजोरी और केनपम्मा ने उठाया फायदा

आम लोग धर्म-कर्म की ओर काफी रुझान रखते हैं। और दुख के आने पर यह रुझान औऱ भी बढ़ जाता है। इसी कमजोरी का बहुत से लोग फायदा भी उठाते हैं। कर्नाटक की मल्लिका साइनाइड या केनपम्मा ने जिस तरह इस कमजोरी का फायदा उठाया उसकी दूसरी मिशाल नहीं मिलती। कर्नाटक के कग्गालीपुरा की रहने वाली मल्लिका साइनाइड या केनपम्मा काफी ज्यादा गरीब परिवार से थी और उसकी शादी एक दर्जी से हुई थी। शादी के बाद कुछ दिन सब सही चला और उसके 3 बच्चे हुए। लेकिन केनपम्मा के दिल में एक ख्वाहिश शादी के पहले से थी कि वह एक खुशहाल जिंदगी जिए जिसमें सब खुशियां मिले। लेकिन उसकी यह ख्वाहिश अभी तक अधूरी थी। उसने अपने दर्जी पति को समझाकर नया बिजनेस शुरु करने की बात कही। पति ने उसकी जिद के आगे चिटफंड का धंधा शुरु करने की इजाजत दे दी। लेकिन लगाया गया पैसा डूब गया। इसके बाद पति पत्नी के रिश्ते में खटास आ गई।

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पति को छोड़ किया बेंगलुरु का रुख, सोने की चमक देख रखा अपराध की दुनिया में कदम

इसी के बाद 3 बच्चों की मां ने पति को छोड़ दिया। वह 1998 वहां से बेंगलुरु चली जाती है। बेंगलुरु जाने के बाद वह शहर की भीड़भाड़ में गुम हो जाती है। किसी को भी उसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। शुरुआती दिनों में वह वहां कुछ घरों में नौकरानी का काम करती है। फिर सुनार की दुकान पर उसे नौकरी मिल जाती है। इसी बीच उसकी पहुंच कुछ सुनार के घरों तक हो जाती है और सोने की चमक के बीच उसे अपने सपने पूरे होने की राह दिखाई देती है। सोने की चमक देख उसे लगता है कि यदि यह उसे मिल जाए तो उसके सपने पूरे हो जाएंगे। इसी ख्वाहिश में वह एक सुनार के घऱ से सोना चोरी करती है और पकड़ी जाती है। घरवाले उसे पुलिस के हवाले कर देते हैं। जहां से उसे अदालत में पेश किया जाता है और उसे 6 माह की सजा होती है।

जेल से निकलने पर शुरु हुआ मल्लिका साइनाइड का सफर

जेल से निकलने के बाद उस पर दाग लग जाता है और उसे काम भी आसानी से नहीं मिलता है। और यही से केनपम्मा के मल्लिका साइनाइड बनने का सफर शुरु होता है। 1998 के आखिर औऱ 1999 की शुरुआत में उसने कुछ राते जेल से आने के बाद मंदिर और सुनसान जगहों पर गुजारी। मंदिर में ही उसने महिलाओं को देखा जो तरह-तरह की मन्नत लेकर आती थी। उसने कुछ मंदिर में रहकर महिलाओं पर नजर रखा।

1999 में किया पहला कत्ल

केनपम्मा ने अब उन महिलाओं को निशाना बनाने का सोचा जो अकेली हैं बेबस हैं और लाचार है। इसी के साथ अपनी मन्नते पूरी करने के लिए मंदिर के चक्कर काट रही हैं। उसकी नजर में यह आसान शिकार लगी। 9 अक्टूबर 1999 में केनपम्मा में पहला कत्ल किया। 30 साल की ममथा राजन मंदिर में मन्नत के लिए आईं थी। उसे एक बच्चा चाहिए था। यह बात केनपम्मा को मालूम हुई तो उसने मुराद पूरी होने का लालच दिया। स्पेशल पूजा का लालच देकर केनपम्मा ने महिला से कहा तुम्हे सज धजकर अपने सारे जेवर पहनकर आना होगा। ममथा राजन केनपम्मा को भगवान समझ उसी के बताए अनुसार पहुंच गई। केनपम्मा ने वहां एक लोटे में पोटैशियम साइनाइड मिलाकर पीने के लिए दे दिया। इसे पीने से ममथा राजन की मौत हो गई। जिसके बाद केनपम्मा उसके सारे जेवर लेकर फारर हो गई। अगले कुछ दिनों के भीतर ही उसने 5 अन्य लोगों को इसी तरह मौत के घाट उतारा। 10 अक्टूबर और दिसबंर 18 के बीच उसने सारे 6 कत्ल किए।

2006 में किया रेणुका का कत्ल और दर्ज हुई एफआईआर

इसके बाद 2006 में एक महिला रेणुका का कत्ल हुआ। कहा जाता है कि उसका कत्ल भी केनपम्मा ने किया। रेणुका भी मंदिर जाती है वहीं उसकी दोस्ती केनपम्मा से हुई। एक दिन अचानक रेणुका गायब हो जाती है। रेणुका का पति दुबई में रहता था। पति को जब रेणुका का कोई पता नहीं लगा तो वह वापस भारत आया और पुलिस के पास पहुंचा। जहां पुलिस ने इस मामले पर ध्यान दिया। लेकिन रेणुका के पति ने खुद अपने स्तर पर जानकारी कर केनपम्मा का पता लगाया। लेकिन मामले में आगे कुछ नहीं हो सका। लेकिन 31 दिसंबर 2008 में केनपम्मा के होने की सूचना मिली। पुलिस ने उस महिला को पकड़ा जिसके पास से पुलिस को भारी मात्रा में जेवरात मिले। पुलिस ने सख्ती से पूछताछ की तो इस घटना का खुलासा हुआ। इसी के बाद पुराने केस का पता लग सका।

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जौहरी की दुकान पर लगा था पोटैशियम साइनाइड का पता

केनपम्मा ने बताया कि जौहरी के दौरान काम करते हुए ही उसे पोटैशियम साइनाइड का पता लगा था। इसी के इस्तेमाल उसने सभी कत्ल में किया। 2010 में अदालत ने उसे कत्ल के लिए फांसी सजा सुनाई। 2012 में उसे दूसरे कत्ल के फांसी की सजा सुनाई गई। कर्नाटक के इतिहास में यह पहली बार था जब किसी सीरियल किलर महिला को फांसी की सजा सुनाई गई। हालांकि बाद में हाईकोर्ट केनपम्मा की मौत की सजा को उम्रकैद की सजा में तब्दील कर दिया गया।

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