
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विप्रो के संस्थापक-अध्यक्ष अजीम प्रेमजी को 19 सितंबर 2025 को एक पत्र लिखकर बेंगलुरु के आउटर रिंग रोड (ORR) पर, विशेष रूप से इब्लुर जंक्शन के पास, ट्रैफिक जाम की गंभीर समस्या को कम करने के लिए विप्रो कैंपस से सीमित वाहनों की आवाजाही की अनुमति देने का अनुरोध किया है।
यह कदम बेंगलुरु की बदहाल सड़क और ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक अनूठी पहल है, जिसे लेकर सरकार पर उद्योग जगत और विपक्ष का दबाव बढ़ता जा रहा है।
पत्र का विवरण और प्रस्ताव
सिद्धारमैया ने अपने पत्र में लिखा कि बेंगलुरु, विशेष रूप से ORR कॉरिडोर और इब्लुर जंक्शन, पीक आवर्स के दौरान भारी ट्रैफिक जाम से जूझ रहा है, जो शहरवासियों की गतिशीलता, उत्पादकता और जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित कर रहा है। उन्होंने विप्रो कैंपस के रास्ते सीमित वाहनों की आवाजाही की संभावना तलाशने का सुझाव दिया, जो आपसी सहमति और सुरक्षा व्यवस्थाओं के अधीन होगी। ट्रैफिक और शहरी गतिशीलता विशेषज्ञों के प्रारंभिक आकलन के अनुसार, इस उपाय से ORR के आसपास के हिस्सों में ट्रैफिक जाम को लगभग 30% तक कम किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने प्रेमजी से अनुरोध किया कि उनकी टीम सरकारी अधिकारियों के साथ जल्द से जल्द एक आपसी स्वीकार्य योजना पर काम करे। उन्होंने कहा, “आपका सहयोग ट्रैफिक की समस्या को कम करने, यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने और बेंगलुरु को अधिक कुशल और रहने योग्य बनाने में महत्वपूर्ण होगा।”
बेंगलुरु की ट्रैफिक समस्या और संदर्भ
बेंगलुरु, भारत की सिलिकॉन वैली, लंबे समय से ट्रैफिक जाम और खराब सड़क बुनियादी ढांचे से जूझ रहा है। ORR का 19 किलोमीटर का हिस्सा, जो केआर पुरम मेट्रो स्टेशन से सिल्क बोर्ड तक फैला है, 500 से अधिक आईटी कंपनियों का केंद्र है, जहां लगभग 9.5 लाख पेशेवर काम करते हैं। हाल ही में कई कंपनियों ने 1 अक्टूबर 2025 से वर्क-फ्रॉम-होम और हाइब्रिड व्यवस्था खत्म करने का फैसला किया है, जिससे ट्रैफिक दबाव और बढ़ने की आशंका है।
इसके अलावा, हाल ही में लॉजिस्टिक्स कंपनी ब्लैकबक के सह-संस्थापक राजेश याबाजी ने बेलंदूर से अपनी कंपनी को स्थानांतरित करने की धमकी दी थी, जिसके बाद उद्योग जगत के दिग्गजों जैसे इंफोसिस के पूर्व सीएफओ मोहनदास पाई और बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार-शॉ ने सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की थी।
सरकार की प्रतिक्रिया और अन्य प्रयास
उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने बेंगलुरु की सड़कों की तुलना दिल्ली से करते हुए कहा कि गड्ढों की समस्या राष्ट्रीय स्तर की है, और इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि सरकार रोजाना 1,000 गड्ढों को भर रही है और 7,000 गड्ढे पहले ही ठीक किए जा चुके हैं। इसके अलावा, सरकार ने 20 प्रमुख ट्रैफिक बाधा बिंदुओं, जैसे सिल्क बोर्ड, इब्लुर, बेलंदूर, और कडुबीसनहल्ली, पर ट्रैफिक कम करने के लिए कदम उठाए हैं। पनाथुर रोड के चौड़ीकरण को तेज करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
20 सितंबर 2025 को सरकार ने बेंगलुरु के आईटी कॉरिडोर की समस्याओं को हल करने के लिए एक आपातकालीन उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई थी, जिसमें ग्रेटर बेंगलुरु प्राधिकरण, ट्रैफिक पुलिस, और मेट्रो अधिकारियों ने हिस्सा लिया। सरकार ने सड़क मरम्मत और निर्माण के लिए 1,100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
विप्रो और अजीम प्रेमजी का योगदान
विप्रो और अजीम प्रेमजी पहले भी बेंगलुरु के बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास में योगदान दे चुके हैं। 2018 में, प्रेमजी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी से सरजापुर रोड के 7.5 किलोमीटर हिस्से को चौड़ा करने की मांग की थी, जिसके बाद विप्रो ने सड़क चौड़ीकरण के लिए अपनी जमीन दी थी। इसके अलावा, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन ने शिक्षा, जल संरक्षण, और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में कई पहल की हैं, जैसे बेंगलुरु सस्टेनेबिलिटी फोरम और सरकारी स्कूलों में सुधार।