एटा फर्जी एनकाउंटर मामले में 16 साल बाद मिला न्याय, 5 पुलिसकर्मियों को हुई उम्रकैद

यूपी के एटा जिले के एक फर्जी एनकाउंटर में एक शख्स की पुलिसकर्मियों ने हत्या कर दी थी, अब इस मामले में 16 साल बाद गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। बता दे कि, सिढपुरा थाना अंतर्गत पहलोई और ताईपुर गांव के समीप 2006 में सुरेंद्र ईंट भट्ठे पर हुए पुलिस एनकाउंटर में राजाराम पुत्र भगवानदास शर्मा की मौत हो गई थी। मामले में गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने एनकाउंटर को फर्जी मानने हुए अपहरण कर हत्या के आरोप में  सिढपुरा थाने में तैनात तत्कालीन थानाअध्यक्ष पवन सिंह सहित नौ पुलिस कर्मियों को दोषी माना है।

गाजियाबाद की सीबीआई न्यायालय के विशेष न्यायाधीश परवेंद्र कुमार शर्मा की अदालत ने नौ पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया था। कोर्ट ने सजा का ऐलान किया जिसके बाद सभी को जेल भेज दिया गया। इसके अलावा चार पुलिसकर्मियों 5-5 साल की सजा और 11 हजार का जुर्माना लगाया है।

कोर्ट ने 5 दोषियों पवन सिंह, पाल सिंह ठेनवा, राजेन्द्र प्रसाद, सरनाम सिंह और मोहकम सिंह को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा और 33 हजार का जुर्माना लगाया। अन्य बलदेव प्रसाद, सुमेर सिंह अजय कुमार और अवधेश रावत को सबूत मिटाना और कॉमन इंटेंशन के तहत 5- 5 साल की सजा और 11 हजार का जुर्माना लगाया. हालांकि अदालत के इस फैसले के खिलाफ आरोपी पवन सिंह के वकील ने उच्च न्यायालय में जाने की बात कही है।

घर से उठाकर किया था एनकाउंटर
वहीं मृतक राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी ने घटना की वास्तविकता बताते हुए कहा कि पुलिस उसके पति को मोटरसाइकिल पर बैठा कर पूछताछ के लिए थाने ले गई थी. जब देर शाम तक वह घर नहीं पहुंचे तो मैं अपने जेठ, देवर और परिजनों के साथ थाना सिढपूरा पहुंची. पूछे जाने पर पुलिस कर्मियों ने गालियां देकर थाने से भगा दिया. दो दिन बाद अखबार में छपी एनकाउंटर की खबर से परिजनों को घटना के बारे में पता जानकारी हुई थी।

हाईकोर्ट ने सीबीआई को सौंपी थी जांच
वहीं निचली अदालत से राहत न मिलने के बाद मृतक राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी के जेठ शिव प्रकाश शर्मा और पप्पू, देवर अशोक शर्मा ने पैरवी करते हुए हाईकोर्ट इलाहाबाद का दरवाजा खटखटाया और सीबीआई जांच की मांग की। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए 1 जून 2007 को सीबीआई को जांच सौंप दी। सीबीआई ने मामले में एफआईआर दर्ज करने  बाद जांच शुरू कर दी। करीब ढाई साल तक चली सीबीआई जांच के बाद सीबीआई ने 22 दिसंबर 2009 को 10 पुलिसकर्मियों को अपहरण हत्या और साक्ष्य मिटाने के आरोप में दोषी पाते हुए न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल कर दिया।

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