
ये कहानी है समंदर की, हिम्मत की, और एक ऐसी कोशिश की, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा है। गाजा, जहां सालों से जिंदगी सलाखों के पीछे कैद है। कुछ लोग समंदर के रास्ते गाजा के लिए उम्मीद की किरण ले जाने निकले। लेकिन इजरायल ने उनके रास्ते में कांटे बिछा दिए।
क्या है ये सुमुद फ्लोटिला?
बात शुरू होती है अगस्त 2025 से। स्पेन और इटली के बंदरगाहों से 50 से ज्यादा नावें, 44 देशों के करीब 500 लोग, और एक मकसद—गाजा की नाकाबंदी तोड़ना। इन नावों पर था इंसानी मदद का सामान—खाना, दवाइयां, बच्चों के लिए दूध। भले ही सामान की मात्रा छोटी थी, लेकिन मकसद बड़ा था: गाजा तक समुद्री रास्ता खोलना, जहां दो साल से जंग ने जिंदगी को भूख और तबाही के हवाले कर रखा है।
इन नावों में सवार थे बड़े-बड़े नाम। स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग, बार्सिलोना की पूर्व मेयर अदा कोलाउ, और यूरोपीय संसद की सदस्य रीमा हसन। इसके अलावा, 24 अमेरिकी, जिनमें कुछ सैन्य दिग्गज शामिल थे, 30 स्पेनिश, 22 इटैलियन, 21 तुर्की और 12 मलेशियाई नागरिक। कुल मिलाकर 37 देशों के लोग, एक मिशन पर।
क्या हुआ समंदर में?
बुधवार की रात, 1 अक्टूबर 2025, जब ये फ्लोटिला गाजा के तट से 70 नॉटिकल मील (यानी करीब 130 किमी) दूर था, इजरायली नौसेना ने धावा बोल दिया। एक-एक करके 44 में से 43 नावों पर कब्जा कर लिया गया। सिर्फ एक नाव, मैरिनेट, जो पोलैंड का झंडा लिए छह लोगों के साथ थी, बच निकली। लेकिन वो भी कितनी दूर तक, ये अभी साफ नहीं।
आयोजकों का कहना है कि इजरायली नौसेना ने नावों पर चढ़ाई की, कमिनिकेशन सिस्टम को जाम कर दिया, ड्रोन भेजे, और कुछ नावों के उपकरण तोड़ डाले। लाइव स्ट्रीम बंद, डिस्ट्रेस सिग्नल ब्लॉक। मतलब, पूरी दुनिया से संपर्क तोड़ दिया गया। बुधवार को कम से कम 13 नावें जब्त की गईं, और गुरुवार दोपहर तक (9:00 GMT) इजरायल ने दावा किया कि मैरिनेट को छोड़कर बाकी सारी नावें उनके कब्जे में हैं।
सैफ अबुकेसिक, फ्लोटिला के प्रवक्ता, ने बताया कि 200 से ज्यादा लोग, 37 देशों से, इस मिशन का हिस्सा थे। लेकिन इजरायल ने इन नावों को गाजा पहुंचने से पहले ही रोक लिया, और सारे कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर इजरायल के अशदोद बंदरगाह ले जाया गया।
इजरायल का जवाब क्या?
इजरायल का कहना है, “ये नाकाबंदी जरूरी है। हथियारों की तस्करी रोकने के लिए।” उनके विदेश मंत्रालय ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें एक नौसेना अधिकारी फ्लोटिला को चेतावनी दे रहा है कि वो “प्रतिबंधित क्षेत्र” में घुस रहे हैं। इजरायल ने कहा, “कोई भी मदद चाहिए, तो हमारे तय किए रास्तों से भेजो।” लेकिन आयोजकों ने इसे ठुकरा दिया, क्योंकि वो चाहते थे कि मदद सीधे गाजा के लोगों तक पहुंचे।
इजरायल के यूएन राजदूत डैनी डैनन ने कहा कि योम किप्पुर की छुट्टी खत्म होने के बाद (2 अक्टूबर की शाम) कार्यकर्ताओं को डिपोर्ट कर दिया जाएगा। लेकिन छुट्टी की वजह से कोर्ट और जेलें बंद थीं, तो कार्यकर्ता अशदोद बंदरगाह पर “लिम्बो” में फंसे रहे। एक और वीडियो में ग्रेटा थनबर्ग को सैनिकों के बीच दिखाया गया, और इजरायल ने दावा किया, “ग्रेटा और उनके दोस्त सुरक्षित हैं।”
इजरायल ने ये भी इल्जाम लगाया कि फ्लोटिला के कुछ आयोजक हमास से जुड़े हैं। लेकिन कार्यकर्ताओं ने इसे सिरे से खारिज कर दिया। और हां, इजरायल ने अब तक इस दावे का कोई सबूत नहीं दिखाया।
पहले भी हुआ है ऐसा?
ये कोई नई कहानी नहीं है। 2007 से इजरायल ने गाजा पर नाकाबंदी कर रखी है। तब से कई बार लोग समंदर के रास्ते गाजा पहुंचने की कोशिश कर चुके हैं। कुछ पुरानी घटनाएं:
- 2010 – मावी मारमारा: तुर्की की एक नाव पर इजरायली कमांडो ने धावा बोला। झड़प हुई, 10 कार्यकर्ता मारे गए। इसने पूरी दुनिया में हंगामा मचा दिया। 2013 में इजरायल ने “ऑपरेशनल गलतियों” के लिए माफी मांगी, लेकिन तुर्की में आज भी इस मामले में इजरायली सैनिकों पर मुकदमा चल रहा है।
- 2011-2018: छोटे-छोटे फ्लोटिला रुके। इजरायल ने इन्हें अशदोद बंदरगाह पर मोड़ लिया, कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया, और सामान जब्त कर लिया। 2018 में कुछ कार्यकर्ताओं ने बताया कि उन्हें टेजर गन से मारा गया।
- 2024: कई फ्लोटिला कोशिशें हुईं, लेकिन इजरायल ने या तो उन्हें विदेशी बंदरगाहों से निकलने नहीं दिया, या गाजा पहुंचने से पहले रोक लिया।
- 2025 – मडलीन: जून में सिसिली से एक नाव, मडलीन, रवाना हुई। इसमें ग्रेटा थनबर्ग भी थीं। इजरायली नौसेना ने इसे अंतरराष्ट्रीय जल में रोक लिया, केमिकल स्प्रे का इस्तेमाल किया, और 12 लोगों को डिपोर्ट कर दिया।
इस बार और क्या खास था?
ये फ्लोटिला 44 देशों का सबसे बड़ा समुद्री मिशन था। स्पेन, इटली, ग्रीस, और ट्यूनीशिया से होते हुए ये मेडिटेरेनियन समंदर पार कर रहा था। लेकिन रास्ते में मुश्किलें कम नहीं थीं। माल्टा और क्रेते के पास ड्रोन हमलों की खबरें आईं, जिससे कुछ नावें क्षतिग्रस्त हो गईं और पीछे हट गईं। फिर भी, 44 नावें गाजा के करीब पहुंची थीं।
स्पेन और इटली ने अपनी नौसेना भेजकर फ्लोटिला की निगरानी की। कई यूरोपीय देशों ने इजरायल से संयम बरतने को कहा। लेकिन इजरायल ने अपनी कार्रवाई को जायज ठहराया।
दुनिया का रिएक्शन?
इस घटना ने दुनिया भर में बवाल मचा दिया। रोम, ब्यूनस आयर्स, इस्तांबुल, बर्लिन, मैड्रिड जैसे शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए।
कुछ देशों और नेताओं के बयान:
- मलेशिया: प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने इजरायल की “धमकी और दबाव” की कड़े शब्दों में निंदा की। कहा, “ये न सिर्फ फिलिस्तीनियों के अधिकारों का हनन है, बल्कि पूरी दुनिया की अंतरात्मा का अपमान है।” 12 मलेशियाई नागरिक हिरासत में हैं।
- आयरलैंड: विदेश मंत्री साइमन हैरिस ने इसे “चिंताजनक” बताया। यूरोपीय देशों के साथ मिलकर अपने नागरिकों की रिहाई के लिए बात कर रहे हैं।
- कोलंबिया: राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने इजरायली राजनयिकों को देश से निकाल दिया। इजरायल के साथ मुक्त व्यापार समझौते को रद्द कर दिया। कहा, “नेतन्याहू ने दुनिया के सामने अपना पाखंड दिखाया। वो एक वैश्विक अपराधी हैं।”
- वेनेजुएला: विदेश मंत्री यवान गिल ने इसे “जायनवादी शासन की अपराधी प्रवृत्ति” बताया। कहा, “ये भुखमरी के जरिए नरसंहार है।”
- तुर्की: विदेश मंत्रालय ने इजरायल की कार्रवाई को “आतंकी” करार दिया।
- जर्मनी: इजरायल का समर्थक होने के बावजूद, जर्मनी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन हो और कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
- कुवैत: तीन कुवैती नागरिक स्पेक्टर नाव पर थे। विदेश मंत्रालय उनकी रिहाई के लिए जोर-शोर से जुटा है।
- इटली: प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने फ्लोटिला की आलोचना की, लेकिन 22 इटैलियन नागरिकों की वापसी के लिए काम करने का वादा किया।
अब आगे क्या?
ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती। कार्यकर्ता कह रहे हैं कि वो हार नहीं मानेंगे। गाजा की नाकाबंदी तोड़ने की उनकी कोशिशें जारी रहेंगी। दूसरी तरफ, इजरायल अपने रुख पर अड़ा है। दुनिया भर में विरोध प्रदर्शन तेज हो रहे हैं। क्या ये मिशन गाजा के लिए एक नया रास्ता खोलेगा, या इजरायल की सख्ती और बढ़ेगी? ये देखना बाकी है।