विश्व बाघ दिवस पर नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान में जागरुकता कार्यशाला का हुआ आयोजन

लखनऊ: नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान विश्व बाघ दिवस पर बाघों के प्रति जागरूकता कार्यशाला आयोजित की गयी। इस अवसर पर वी0 के0 मिश्र, निदेशक प्राणि उद्यान लखनऊ, डा0 उत्कर्श शुक्ला, उप निदेशक, प्राणि उद्यान लखनऊ, डा0 अशोक कश्यप, पशु चिकित्सक, प्राणि उद्यान लखनऊ, डा0 बृजेन्द्र मणि यादव, पशु चिकित्सक, प्राणि उद्यान लखनऊ, पियूश मोहन श्रीवास्तव, क्षेत्रीय वनाधिकारी, प्राणि उद्यान लखनऊ, नीना कुमार, शिक्षाधिकारी, प्राणि उद्यान लखनऊ एवं प्राणि उद्यान के कर्मचारी तथा विभिन्न स्कूलों के छात्र-छात्रायें उपस्थित थे।

सर्वप्रथम प्राणि उद्यान के निदेशक वी0के0 मिश्र द्वारा अपने संबोधन में कहा गया कि प्रथम बार रूस के सेन्ट पीटर्सबर्ग में 29 जुलाई, 2002 में विष्व में बाघों की संख्या कम होने पर चिंता व्यक्त की गयी तथा इसी दिन यह निर्धारित किया गया कि 29 जुलाई को प्रत्येक वर्ष विश्व बाघ दिवस के रूप में मनाया जायेगा। आज पूरे विश्व में 3900 बाघ उपलब्ध है, इनमें से 2900 बाघ भारत में पाये जाते हैं। विश्व बाघ दिवस के अवसर पर निदेषक द्वारा बाघों की सुरक्षा एवं संरक्षण करने तथा स्कूली छात्र-छात्राओं से एवं आम जनमानस से इनकी रक्षा करने हेतु संकल्प लेने की अपील की गयी।

प्राणि उद्यान के उप निदेशक डा0 उत्कर्श शुक्ला ने कहा कि बाघों की आंख की रेटिना के पीछे एक अतिरिक्त पर्त होने की वजह से देखने की क्षमता मनुश्यों से कई गुना बढ़ जाती है। जिससे यह रात के अंधेरे में एकदम साफ देख सकते है। उपनिदेषक द्वारा बताया गया कि बाघों की Short Term Memory मनुष्यों से 30 गुना अधिक होती है। बाघ की मूंछ के बाल भी सेंसर का काम करते है। प्राणि उद्यान के क्षेत्राधिकारी पियूश मोहन श्रीवास्तव ने जंगल के बाघों पर जानकारी देते हुए कहा कि प्राणि उद्यान में रह रहे बाघों की उम्र जंगल के बाघों की उम्र से अधिक होती है। बाघों की गणना दो प्रकार से की जाती है, प्रथम बाघों के पगचिन्हों द्वारा तथा द्वितीय थर्मोसेन्सर कैमरे द्वारा। अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि बाघ शिकार करते समय हवा के रूख का भी ध्यान रखता है। बाघ हिंसक वन्य जीव नहीं है, वह मांसाहारी जीव है। प्राणि उद्यान की शिक्षाधिकारी ने कहा कि बाघ 16 घंटे सोते है तथा यह वन्य जीव बहुत ही चतुर एवं चालाक होता है। बाघ बहुत ही खूबसूरत जीव है। कार्यक्रम के अंत में स्कूली छात्र-छात्राओं को बाघों सें संबंधित एक शैक्षिक वीडियो क्लिप भी दिखायी गयी।

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