ताजिकिस्तान में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के ग्लेशियर संरक्षण सम्मेलन में भारत ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की इंडस वाटर्स ट्रीटी (IWT) पर टिप्पणी को खारिज करते हुए कड़ा जवाब दिया। भारत ने इसे अनुचित और सम्मेलन के दायरे से बाहर का मुद्दा करार दिया। केंद्रीय मंत्री किर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि पाकिस्तान का सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना ही 1960 की इस संधि के कार्यान्वयन में असली बाधा है।

शहबाज शरीफ ने शुक्रवार को सम्मेलन में भारत के संधि को निलंबित करने के फैसले को “पानी का हथियारीकरण” और “एकतरफा व अवैध” करार दिया था। उन्होंने कहा कि यह कदम लाखों लोगों की जिंदगी को संकट में डाल रहा है और पाकिस्तान इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। यह टिप्पणी 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों द्वारा 26 नागरिकों की हत्या के बाद भारत द्वारा उठाए गए प्रतिबंधात्मक कदमों के जवाब में आई, जिसमें IWT को निलंबित करना शामिल था।
किर्ति वर्धन सिंह ने शनिवार को जवाब देते हुए कहा कि 1960 के बाद से परिस्थितियों में मूलभूत बदलाव आए हैं, जैसे तकनीकी प्रगति, जनसांख्यिकीय परिवर्तन, जलवायु परिवर्तन और लगातार सीमा पार आतंकवाद, जो संधि के दायित्वों की समीक्षा की मांग करते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान, जो खुद संधि का उल्लंघन कर रहा है, उसे भारत पर इसका दोष मढ़ने से बचना चाहिए। उन्होंने संधि की प्रस्तावना का हवाला देते हुए कहा कि इसे सद्भाव और मित्रता की भावना से लागू किया जाना चाहिए, लेकिन पाकिस्तान का आतंकवाद समर्थन इस भावना को तोड़ता है।
भारत ने साफ किया कि पाकिस्तान की ओर से लगातार आतंकवादी गतिविधियां संधि के प्रावधानों का उपयोग करने की क्षमता को बाधित करती हैं। भारत ने इस मंच का दुरुपयोग करने के लिए पाकिस्तान की निंदा की और कहा कि ऐसी टिप्पणियां जलवायु और ग्लेशियर संरक्षण जैसे वैश्विक मुद्दों से ध्यान भटकाती हैं।