अलग अंदाज में मनाना चाहते हैं होली का जश्न, इन जगहों की करें सैर

रंगों और खुशियों का त्योहार होली 1 मार्च को मनाया जा रहा है. 1 मार्च को होलिका दहन और 2 मार्च को खेली जाएगी. अगर आप इस बार किसी नई जगह पर होली को मनाना चाहते हैं तो इन जगहों पर जाने की तैयारी कर लें. घूमने के साथ होली भी शानदार बन जाएगी.

होली

दिल्ली

दिल्‍ली की होली का रंग मजेदार होता है. यहां रंगों के साथ ही सुरों और संगीत की धूम रहती है.

पंजाब

होली के कुछ अलग रंग देखना चाहते हैं तो आंनदपुर साहिब जरूर जाएं. यहां सिख अंदाज में होली के रंग की जगह करतब और कलाबाजी देखने को मिलेगी, जिसे होला मोहल्‍ला कहा जाता है.

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव पुरूलिया में भी होली को बहुत ही अलग ढंग से मनाया जाता है. यहां पारंपरिक नृत्‍य और संगीत का मजा लिया जा सकता है.

मथुरा-वृंदावन

दूर-दूर से कान्हा के भक्त यहां आकर होली खेलते हैं. इस मौके पर लठ्ठमार होली भी खेली जाती है. यहां एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाता है. मथुरा के श्रीद्वारकाधीश मंदिर में एक भव्य आयोजन भी किया जाता है. फूलों की होली पूरी दुनिया में मशहूर है और यहां यह उत्‍सव पूरे एक हफ्ते तक मनाया जाता है.

बरसाना की होली

यहां देश से ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं. यहां की लठ्ठमार होली का अंदाज बहुत ही अलग है और यहां तीन दिन होली खेली जाती है. ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने दोस्तों के साथ राधा से होली खेलने के लिए बरसाना आया करते थे. लेकिन राधा जी अपनी सहेलियों के साथ बांस की लाठियों से उन्हें दौड़ाती थीं. अब लठ्ठमार होली बरसाना की परंपरा बन चुकी है. होली के दौरान महिलाएं पुरुषों को लठ्ठ मारती हैं और गांव के सारे कन्हैया खुद को बचाते हुए उन्हें रंग लगाने की फिराक में रहते हैं.

काशी

दुनिया की सबसे अनूठी होली मनाई जाती है. रंगभरी एकादशी के ठीक अगले दिन यह होली बनारस में बाबा के भक्त खेलते हैं. मान्यता है कि स्वयं महादेव किसी न किसी रूप में मौजूद रहते हैं. रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ माता पार्वती की विदाई कराकर पुत्र गणेश के साथ काशी पधारते हैं. वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तों की होली अपने आप में अजूबा है. भस्म भी ऐसा-वैसा नहीं, महाश्मशान में जलने वाले इंसानों के राख से तैयार भस्म से होली खेली जाती है.

शांतिनिकेतन

यह पश्चिम बंगाल का प्रसिद्ध विद्यालय है और यहां सांस्‍कृतिक व पारंपरिक अंदाज में गुलाल और अबीर की होली खेली जाती है.

जयपुर

होली के उत्‍सव में हाथियों को सजाया जाता है और उनकी परेड निकाली जाती है. रंग-बिरंगे रंगों से सजे इन हाथियों को देखना एक अलग ही सुख का एहसास कराता है. लेकिन इस परेड को एनिमल राइट्स के कारण पिछले कुछ सालों से बंद कर दिया गया है.

उदयपुर

शाही अंदाज में मनाने के मूड में हैं तो उदयपुर इस इच्‍छा को पूरा कर सकता है.

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