
हाथरस की घटना के बाद भले ही गांव में मीडिया को एंट्री मिल गयी हो, लेकिन सवाल अभी भी वही बरकरार हैं। हाथरस की घटना में पुलिस और अधिकारियों की ओर से जो कुछ भी इतने दिनों तक किया गया वह सवालों के कठघरे में पूरे प्रशासनिक रवैये को खड़ा करता है। लगातार हाथरस की घटना को जिस तरह से दबाने और छिपाने का प्रयास किया गया उससे कई अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। आपको बता दें कि हाथरस की घटना पर कई सवाल अभी भी ऐसे हैं जिनके सामने आने के बाद अभी भी किसी के पास उनका कोई जवाब नहीं है।
बीते कुछ दिनों में जो कुछ भी यूपी के भीतर हुआ उसके बाद सवाल हो रहा है कि आखिर देश में कौन सा ऐसा कानून है जिसका इस्तेमाल हाथरस में किया गया।
आखिर किस कानून के इस्तेमाल के बाद इन चीजों को गांव में प्रतिबंधित किया गया।
- किस कानून के तहत गांव में जांच टीम के रहने पर मीडिया की एंट्री बैन रहती है?
- कोई भी ऐसा कानून जिसके तहत गांव में एक भी व्यक्ति को एंट्री से रोका जा सके?
- क्या मीडिया की एंट्री भारत देश के अंदर किसी गांव में रोकी जा सकती है?
- जिस घर की बेटी की मौत हो गयी हो उसके फोन किन अधिकारों के तहत छीने गयें?
- धारा 144 लागू होने के बाद भी गांव में एक व्यक्ति की एंट्री पर रोक होती है क्या?
- आखिर वह कौन सा ऐसा कानून है जिसके तहत अगर एसआईटी टीम गांव में है तो मीडिया वहां नहीं जा सकती?