GST समझ नहीं आ रहा? आसान भाषा में समझें पूरा मामला

GSTनई दिल्ली। आजादी के बाद का सबसे बड़ा टैक्स सुधार माना जानेवाला गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) आज (30 जून) रात से लागू हो जाएगा। शुक्रवार की रात घड़ी की सुइयां जैसे ही 12 बजाएंगी पूरे देश में नए टैक्स सिस्टम जीएसटी का आगाज हो जाएगा। इस मौके पर संसद में पीएम मोदी के साथ अमिताभ बच्चन जैसे नामी लोग मौजुद रहेंगे। GST से आम आदमी की जेब पर कितना असर होगा इसको लेकर हर किसी के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। आइए हम बताते हैं कि GST लागू होने के बाद किन चीजों के दामों में कितना असर पड़ेगा।

GST से ये चीजें होंगी महंगी

बैंकिंग और टेलिकॉम जैसी सेवाएं महंगी हो जाएंगी.

बीमा पॉलिसी लेना एक जुलाई महंगा हो जाएगा. इस पर 18 फीसदी की GST वसूला जाएगा. फिलहाल इस पर 15 फीसदी टैक्‍स है.

एक जुलाई से रेस्टोरेंट में खाना महंगा हो जाएगा. अभी इसके बिल पर वैट लगाकर 11 फीसदी टैक्स लिया जाता है. 1 जुलाई के बाद नॉन-एसी रेस्टोरेंट में फूड बिल पर 12 फीसदी शराब लाइसेंस और एसी वाले रेस्टोरेंट में 18 फीसदी और लग्जरी रेस्टोरेंट में 28 फीसदी जीएसटी लगेगा. शैंपू और परफ्यूम महंगे होंगे. इस पर 28 फीसदी जीएसटी लगेगा. जबकि इस पर अभी 22 फीसदी टैक्स लगता था.

जीएसटी लागू होने के बाद मोबाइल बिल महंगा हो जाएगा. सरकार ने इस पर 18 फीसदी जीएसटी लेने का फैसला किया है. जबकि इस समय मोबाइल बिल पर 15 फीसदी टैक्स लगता है.

जीएसटी की व्यवस्था में दुकान या फ्लैट खरीदने पर 12 फीसदी टैक्स देना होगा, फिलहाल यह करीब 6 फीसदी है.

जीएसटी लागू होने के बाद सोना महंगा हो जाएगा. सोने पर इस समय 1 फीसदी उत्पाद शुल्क और राज्यों द्वारा 1 फीसदी वैट लगाया जाता है. अब इस पर 3 फीसदी टैक्स लगाने का फैसला किया गया है.

ट्यूशन फीस और सलून पर भी आपको 18 पर्सेंट टैक्स देना होगा. अब तक इन पर 15 फीसदी टैक्स ही रहा है.

1,000 रुपये से अधिक की कीमत के कपड़ों की खरीदारी पर 12 फीसदी टैक्स चुकाना होगा. अब तक इस पर 6 फीसदी टैक्स वसूला जा रहा है.

GST से ये चीजें होंगी सस्ती

चीनी, खाद्य तेल, नार्मल टी और कॉफी पर जीएसटी के तहत 5 फीसदी टैक्स लगेगा. मौजूदा समय में यह दर 6-8 फीसदी है.

दूध, दही, ताजी सब्जियों, शहद और पापड़ को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. इस वजह से ये चीजें सस्ती होंगी. अब तक इन पर वैट लगता था.

1,000 से कम की कीमत के रेडिमेड कपड़ों पर 5 फीसदी GST लगेगा. करीब 81 फीसदी आइटम्स 18 फीसदी से कम के स्लैब में होंगे. खासतौर पर वेइंग मशीनरी, स्टैटिक कन्वर्टर्स, इलेक्ट्रिक ट्रांसफॉर्मर्स, वाइंडिंग वायर्स, ट्रांसफॉर्मस इंडस्ट्रियल इलेक्ट्रॉनिक्स और डिफेंस, पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्सेज द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले टू-वे रेडियो सस्ते हो जाएंगे.

आपके रोजमर्रा के सामान में हेयर ऑयल और साबुन सस्ता हो जाएगा. इस पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा. इस समय हेयर ऑयल और साबुन पर 28 फीसदी की दर से टैक्स लगता है.

पोस्टेज और रेवेन्यू स्टांप्स भी सस्ते हो जाएंगे, इन पर 5 पर्सेंट ही टैक्स लगेगा. कटलरी, केचअप, सॉसेज और अचार आदि भी सस्ते होंगे, इन्हें 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा जाएगा.

सॉल्ट, चिल्ड्रंस पिक्चर, ड्रॉइंग और कलर बुक्स को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है. प्लेइंग कार्ड्स, चेस बोर्ड, कैरम बोर्ड और अन्य बोर्ड गेम्स को घटाकर 12 पर्सेंट के स्लैब में रखा गया है.

जीवन रक्षक दवाओं को 5 फीसदी जीएसटी स्लैब के दायरे में रखा गया है. यह दवाएं तो सस्‍ती हो रही हैं, लेकिन दूसरी दवाइयां 2.5-5 फीसदी तक महंगी हो जाएंगी.

व्यापारियों पर होगा क्या असर?

20 लाख रुपये से कम के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए खुशखबरी है, उन्हें जीएसटी की व्यवस्था से छूट दी गई है. अब तक यह छूट 10 लाख तक ही सीमित थी. इसका सर्विस क्‍लास की आय से कोई लेना-देना नहीं है. उन पर इसका असर सामान खरीदने पर ही दिखेगा.- अगर सालाना टर्नओवर 20 लाख रुपये से ज्यादा है तो हर हाल में रजिस्ट्रेशन कराना होगा. जिसके बाद कारोबारी को जीएसटी के तहत कच्चे माल पर मिलने वाली टैक्स छूट का फायदा मिलेगा.- 75 लाख रुपये से अधिक के सालाना टर्नओवर वाले ट्रेडर्स, मैन्युफैक्चरर्स और रेस्तरां कंपोजिशन स्कीम के तहत क्रमश: 1, 2 और 5 फीसदी अदा कर सकते हैं. हालांकि इन बिजनैस को इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मिल सकेगा. – अन्य कारोबारियों को हर महीने तीन रिटर्न भरने होंगे, इनमें से दो ऑटोमेटिक होंगे.

इस चीजों के लिए कुछ अलग नियम

पेट्रोलियम और तंबाकू उत्पादों के आयात पर अतिरिक्त कस्टम ड्यूटी जारी रहेगी. सभी इंपोर्टर्स और एक्सपोर्ट्स के लिए एंटी, शिपिंग और कोरियर फॉर्म्स पर जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर देना होगा. इसके अलावा ट्रांजैक्शन के दौरान जीएसटी-नेटवर्क की ओर से मिली प्रविजनल आईडी को भी घोषित करना होगा.

नौकरीपेशा लोगों के लिए अहम बातें

नौकरीपेशा लोगों की कमाई पर जीएसटी नहीं लग रहा है, इसलिए जो चीजें महंगी या सस्‍ती होंगी उसी से वे प्रभावित होंगे. उनके वेतन पर इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. दूसरे देशों के आने वाले सामानों पर जीएसटी वही रहेगा. केंद्र सरकार उन पर इंपोर्ट ड्यूटी घटा-बढ़ाकर फर्क डाल सकती है. उसमें जीएसटी की कोई भूमिका नहीं होगी.

कैसे काम करेगा GST?

GST लागू होने के बाद वस्तुओं एवं सेवाओं पर केवल तीन तरह के टैक्स वसूले जाएंगे. पहला सीजीएसटी, यानी सेंट्रल जीएसटी (सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स), जो केंद्र सरकार वसूलेगी. दूसरा एसजीएसटी, यानी स्टेट जीएसटी (स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स), जो राज्य सरकार अपने यहां होने वाले कारोबार पर वसूलेगी. तीसरा होगा वह जो कोई कारोबार अगर दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर आईजीएसटी, यानी इंटीग्रेटेड जीएसटी (इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) वसूला जाएगा.

1 जुलाई के बाद ये टैक्स होंगे खत्म

पहली जुलाई के बाद यानी GST लागू होते ही सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी (केंद्रीय उत्पाद शुल्क), सर्विस टैक्स (सेवा कर), एडिशनल कस्टम ड्यूटी (सीवीडी), स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम (एसएडी), वैल्यू एडेड टैक्स/ सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, एंटरटेनमेंट टैक्स, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, परचेज टैक्स, लग्जरी टैक्स नहीं वसूले जाएंगे यानी ये खत्म हो जाएंगे. जीएसटी सेल, ट्रांसफर, परचेज, बार्टर, लीज या गुड्स/सर्विसेज के इंपोर्ट जैसे सभी ट्रांजैक्शंस पर लगाया जाएगा. भारत दोहरे जीएसटी मॉडल को अपनाएगा, जिसमें टैक्सेशन की निगरानी केंद्र और राज्य सरकारों दोनों की तरफ से की जाएगी.

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टेक्नीकल टर्म (रिवर्स चार्ज)

रिवर्स चार्ज का मतलब है कि टैक्स चुकाने की जिम्मेदारी सामान और सर्विसेज लेने वालों पर होगी. इसमें सामान और सेवा देने वालों पर टैक्स देने की जिम्मेदारी नहीं होगी.

टेक्नीकल टर्म (कंपोजिशन स्कीम)

इस स्कीम के तहत सामान की कीमत पर नहीं, सालाना टर्नओवर के आधार पर टैक्स लगेगा. इसका फायदा उन्हें मिलेगा, जिनका सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक है.

टेक्नीकल टर्म (इनपुट टैक्स क्रेडिट)

इस बात का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है कि क्योंकि सामान भेजने और लेने वालों के आंकड़े एक हों. अगर होलसेलर ने 100 आइटम भेजे, लेकिन रिटेलर ने 90 दिखाए तो 90 आइटम्स पर ही छूट मिल पाएगी.

जीएसटी जैसे कर सुधार की शुरुआत भारत में उस वक्त हुई थी जब देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे और वित्त मंत्रालय संभाल रहे थे पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह. वी पी सिंह ने फरवरी 1986 में मोडिफाइड वैट इंट्रोड्यूस किया था. यह काफी कुछ जीएसटी जैसा था. इसने देश के लिए एकमात्र टैक्स सिस्टम की नींव रख दी थी. इसके बाद साल 2004 में जब तत्‍कालीन वित्‍त मंत्रालय के सलाहकार विजय एल केलकर की अध्‍यक्षता वाली टास्‍क फोर्स ने कहा कि देश की मौजूदा टैक्‍स सिस्‍टम में कई खामियां हैं. उन्‍होंने ही देश हित में एक व्‍यापक जीएसटी का सुझाव दिया था,

हालांकि उन्होंने राज्यों के लिए न्यूनतम 7% और केन्द्र के लिए न्यूनतम 5% दर का सुझाव दिया था. इसके बाद देश में समान टैक्स पर नए सिरे से चर्चा शुरू हुई. यूपीए सरकार के दौरान वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने सभी बजट भाषणों में जीएसटी लाने का संकेत दिया. उन्होंने 1 अप्रैल 2010 से जीएसटी लागू करने की घोषणा की थी. केंद्र में 2014 में एनडीए की सरकार बनते ही पीएम मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस सपना को पूरा करने के लिए रणनीति बनाई जो आज अपने अंजाम से महज एक कदम दूर है.

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