ऋणशोधन और दिवालिया संहिता में संशोधन करेगी सरकार, साबित होगा ‘गेमचेंजर’

नई दिल्ली। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में सचिव इंजेती श्रीनिवास ने कहा कि सरकार ऋणशोधन व दिवालिया संहिता (आईबीसी) संशोधन लाने को तैयार है। श्रीनिवास ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, “यह गेम चेंजर है। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य के ढांचे पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। सरकार किसी अच्छे सुझाव को ग्रहण करने को काफी उत्सुक है। सरकार इसका मूल्यांकन करके आगे आईबीसी में बदलाव करेगी।”

ऋणशोधन और दिवालिया संहिता

श्रीनिवास यहां इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकक्रप्टसी रिफॉर्म्स कांफ्रेंस (ऋणशोधन अक्षमता व दिवालिया सुधार सम्मेलन) में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि इस कानून के लागू होने के महज दो साल में इसकी बड़ी उपलब्धि रही है। इससे पहले के कानून में समाधान के बजाय वसूली पर ध्यान दिया जाता था, जिससे दबाव वाली परिसंपत्तियों में बड़ा आर्थिक नुकसान होता था।

संहिता में पहले ही चार बार संशोधन हो चुका है। जाहिर है कि सरकार का अभिप्राय कारोबार से है और सरकार इसके लिए नियमों को दोबारा परिभाषित करने की दिशा में काम कर रही है।

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भारत ने विश्व बैंक के ऋण शोधन अक्षमता समाधान रूपरेखा के चार मामनकों -समाधान में लगले वाला समय, ऋणशोधन अक्षमता की लागत, परिणाम और वसूली- के मामले में काफी तरक्की हासिल की है।

उन्होंने कहा, “इन सभी मानकों पर हमने दो साल में 30 पायदान की उछाल पाई है। ऋण शोधन अक्षमता के मामले में हमारा स्थान 136वें पायदान पर था, जो अब 103 पर आ गया है।”

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