फ्लोरेसेन्स आर्ट गैलरी में महिला दिवस पर पाँच राज्यों से 12 महिला कलाकारों की 19 कलाकृतियों की प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ

लखनऊ: अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में मंगलवार 8 मार्च को “प्रिंटमेकर बारह” नाम से छापाकला चित्रों की एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी, M 005 , रोहतास प्लीमेरिया, विभूतिखंड, गोमतीनगर ,लखनऊ में किया गया, जिसमे प्रदेश के 5 राज्यों से 12 महिला छापा कलाकारों के 19 कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया। प्रदर्शनी का उद्घाटन मंगलवार को शाम 4 बजे मुख्य अतिथि पुष्पा बेल्लानी (कंपनी सेक्रेटरी / मुख्य जनसंपर्क अधिकारी उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कारपोरेशन लिमिटेड ) एवं पूर्णिमा वर्मन ( प्रख्यात कवियत्री, हिंदी लेखिका ) के कर कमलों द्वारा किया गया। इस अवसर पर गैलरी की डायरेक्टर नेहा सिंह ने मुख्य अतिथि और सभी कलाकारों और सभी आए हुए कलाप्रेमियों का स्वागत और धन्यवाद किया। इस मौके पर उन्होने महिला सशक्तिकरण पर बोलते हुए कला के इस माध्यम छापाकला जैसे कठिन विधा मे कार्य करने वाली महिला कलाकारों के जज़्बे की सराहना की और सभी को महिला दिवस पर शुभकामनाए दी । इस अवसर पर शहर के कई कलाकार एवं कलाप्रेमी उपस्थित रहे।

गैलरी के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया की इस विशेष प्रदर्शनी में देश के पाँच प्रदेश उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर , नई दिल्ली और वेस्ट बंगाल के महिला कलाकार है, प्रदर्शनी की खास बात ये है की इसमें सभी कलाकृतियाँ छापा कला के सभी माध्यमों एचिंग , लिथोग्राफी , वूडकट , लिनोकट , इम्बोस , ड्राई पॉइंट ,सेरीग्राफी को शामिल किया गया है। जिसमे वरिष्ठ ,युवा एवं छात्र कलाकार है। इस प्रदर्शनी में सभी महिला कलाकारों ने अपने अपने व्याकरण को बहुत ही सुन्दर ढंग से रचा है, हमारे यहाँ स्त्रियों पर कार्य करने वाले चित्रकारों की कोई कमी नही है ,आदि काल से स्त्री को कभी मातृ देवी तो कभी प्रेमिका जैसी अनेको रूपों में बनाया जा रहा है ,हड़प्पा ,कोणार्क ,खजुराहो ,एलोरा आदि को देखें तो चित्रों में स्त्रियों के विभिन्न रूप याद आने लगते है महिलाओ ने हमेशा से न जाने कितने मुद्दों का सामना किया है महिलाओं ने कला जगत में अपने लिए एक नई दुनिया बनाई है कला के क्षेत्र में महिलाओं ने यह साबित किया है कि वे सिर्फ एक विषय मात्र नही ,बल्कि उससे कही ज्यादा है ,कलाकार को व्यक्त करने का वरदान प्राप्त है कलाकारों को महसूस करने का तरीका बिलकुल अलग होता है ,नजरिया अलग होता है ,उनके विचार ही उनके माध्यम बन जाते है, जो प्रदर्शनी में समस्त महिला कलाकारों के विचार साक्षात देखने को मिल रहे है , समाज, साहित्य, धर्म, दर्शन और आध्यात्म में नारी का वर्णन भिन्न- भिन्न स्वरूपो में मिलता है। यदि इन स्वरूपो को इतिहास का हिस्सा मान ले तो आज के आधुनिक काल में भी नारी रंक से राजा तक के लिबास में दिखाई देती है। ऐसी ही कुछ महिलाओ की स्रजनशीलता ,उनके संघर्ष के कुछ अंश इस प्रदर्शिनी में देखने को मिल रही है। ऐसे तो अनेकों कला इतिहास में कला योगदान मे नाम आता है और आज भी महिला कलाकार किसी भी रूप में पीछे नहीं हैं। लेकिन भारत मे महिला कलाकारों में अमृता शेरगिल का नाम बहुत महत्वपूर्ण है।

इस प्रदर्शनी में छापा चित्रकार उत्तर प्रदेश से आकांक्षा त्रिपाठी, गीप्ति कटियार ,किरण सिंह राठौर , कविता महरोत्रा , मधु तिवारी , मानु वर्मा ,रंजना पाल , प्राची वर्मा , नई दिल्ली से पिंकी गोयल , वेस्ट बंगाल से पियाली पॉल , जम्मू कश्मीर से रंजू कुमारी , उत्तराखंड से शलिनी ने भाग लिया। पियाली पॉल की कृति थॉट ऑफ अर्बनाइजेशन में एक महिला के अंदर एक पूरा समाज को दर्शाया है।
कविता मेहरोत्रा के अपने अमूर्तन विधा में अपने विचारों को प्रस्तुत किया। वरिष्ठ छापा चित्रकार किरण सिंह राठौर ने शीर्षक ग्रोथ में प्रतीकात्मक रूप दिया है और इस रूप में एक दिनों दिन होने वाले बढ़ोत्तरी को दिखाया है। उत्तराखंड से शालिनी ने अपने वुडकट शीर्षक मदरहुड और विंडोज स्टोरी में महिलाओं के आंतरिक भाव और रोजमर्रा की जिंदगी को दर्शाया है। जम्मू कश्मीर से रंजू कुमारी ने चित्र वुडकट माध्यम और शीर्षक ब्रेन बॉक्स में एक महिला के दिमाग मे तमाम बिंदुओं को एक भावात्मक रूप प्रदान किया है। मधु तिवारी ने अपने लिनोकट माध्यम में बनी दो कृतियों में शीर्षक कम्पोजीशन “व्यथा” और पालतू एक संवेदना को दर्शाया है । गिप्ति कटियार ने इम्बोस माध्यम की कृति में शीर्षक वॉइसिंग में संगीत को महसूस किया जा सकता है। नई दिल्ली से पिंकी गोयल की सेरिग्राफी माध्यम में बनी कृति में शीर्षक कलरफुल दिल्ली को अलग अलग चटख रंगों में दिखाने का प्रयास किया। प्राची वर्मा ने लिथोग्राफी माध्यम की कृति में शीर्षक रिलेशन में एक मानवीय संवेदना को व्यक्त किया है।आकांक्षा त्रिपाठी ने ड्राई पॉइंट में मानव के पैरों को एक भाव मुद्रा में दिखाया है। मानू वर्मा ने अपने एचिंग और रंजना पाल ने वुडकट माध्यम में बनी कृति में महिला के आंतरिक भाव को दर्शाया है।

इस महत्वपूर्ण दिवस पर गैलरी में अलग अलग विधाओं कला, रंगमंच, पाककला, शोध, एवं पत्रकारिता में महत्वपूर्ण योगदान देने वाली 16 महिलाओं 12 छापा कलाकारों से साथ साथ श्रीमती मंजू गुप्ता जो रंगमंच,फ़िल्म, टीवी कलाकार हैं जिन्होंने बहुत से नाटकों,फिल्मों और टीवी सीरियल्स में अपनी भूमिका निभाई है। लखनऊ से ही मास्टर सेफ नादिनी दिवाकर जिन्होंने बड़े ही देश और विदेशों में अपनी रेसिपीज़ से अपनी एक पहचान बनाई है। हालहि में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्कॉलर गजाला जिन्होंने संस्कृत में पांच गोल्ड मैडल प्राप्त किये हैं साथ राजस्थान पत्रिका की रितेश सिंह ने पत्रकारिता में अपनी कलम से एक पहचान कायम किया है। आज इन सभी महिलाओं को गैलरी की तरफ से मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया सम्मान स्वरूप शॉल, प्रमाण पत्र एवं पौधे दिया गया।

स्त्रियों पर साहित्य और कला जगत मंथ काफी कुछ लिखा-कहा जा रहा है लेकिन जब स्त्री खुद कुछ कहती है तो वह इस विमर्श का एक महत्वपूर्ण पक्ष होता है। महिला दिवस के मौके पर महिला कलाकारों की यह प्रदर्शनी भी इस दृष्टि से एक नया आयाम जोड़ती है।कला अभिव्यक्ति को अलंकारिक रूप से प्रदर्शित करने का एक सशक्त माध्यम है तथा इसकी शाश्वत गहराई को प्रतीकात्मक रूप से उकेरा जाता है। यह भाषाई सीमाओं से पर है अन्य सम्प्रेषण कलाओं की भांति यह भी लोगों को एक दूसरे के पास लाने का काम करती है।

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