एक ऐसा भी गांव जहां आज़ादी के बाद से नहीं पहुंची बिजली

विशाल सिंह

भ्रष्टाचार और लापरवाही के एक से बढ़कर एक मामले आपने देखे होंगे। लेकिन जो खबर हम आपको दिखाने जा रहे रहे हैं। उससे आप भी यह सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि अगर भ्रष्टाचार का आलम यही रहा तो प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया का क्या होगा।

एक ऐसा भी गांव जहां

केंद्र की भाजपा सरकार ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने मेनिफेस्टो में हर गांव बिजली पंहुचाने की बात कही थी। सरकार के सत्ता में आने के बाद से यही बात कही जा रही है कि 2019 तक हम सभी गांवों तक बिजली पंहुचा देंगे। इसी के तहत प्रधानमंत्री मोदी ने एक सौभाग्य योजना को संचालित भी किया, जिससे हर गांव तक बिजली पंहुचायी जा सके।

भ्रष्टाचार के नमूने तो आपने एक से एक देखे होंगे। लेकिन भ्रष्टाचार करने के बाद उसको छुपाने के लिए जनता को किस तरह गुमराह किया जाता है. यह हम आपको यूपी के गोण्डा जिले के एक गांव रुद्रगढ़ नौसी से दिखाने जा है।

इस गांव में आजादी के बाद से आज तक बिजली नही आई और अब जब केंद्र में मोदी सरकार बैठी तब कहीं जाकर सिर्फ खंभों का दर्शन इन गांव वालों को हो सका है।

गांव के ही रहने वाले बुजुर्ग काशी प्रसाद की मानें तो पिछड़ा एरिया होने के कारण पिछले 55 सालों से बिजली नहीं आयी। मोदी सरकार के आने के बाद खम्भे तो गड़ गए. लेकिन अभी तार वगैरह कुछ नही लग पाया है। इसलिए बच्चे आगे नहीं बढ़ पाते हैं. तमाम समस्याएं हैं. हम सिलाई-कढ़ाई-बुनाई नहीं कर पाते हैं। न ही हथकरघा चला पाते हैं. और ये सारी समस्याएं बिजली न हो पाने के कारण ही हैं।

इसी गांव रुद्रगढ़ नौसी के वासिन्दे पढ़ने वाले बच्चे शिवम वर्मा का कहना है कि खम्भा तो गढ़ गया है। लेकिन लाइट नही आती है, जिससे हम लोगों को पढ़ने-लिखने में बहुत दिक्कत होती है. हम लोग इसी कारण लालटेन जलाकर पढ़ते हैं।

मोदी सरकार के आने के बाद इस गांव में हाथी की दांत की तरह खम्भे तो लगा दिए गए पर इन खम्भों के पीछे जो भ्रष्टाचार हुआ। वह यह कि सरकार की ऑफिशल साइट पर अंधकार में डूबे रुद्रगढ़ नौसी गांव को विद्युतीकरण से पूर्णतयः लाभान्वित दिखा। जनता को गुमराह किया जा रहा है।

और वो भी इसी भाजपा की सरकार में जिस सरकार में खम्भे लगाए गए है। इस गांव की छात्रा प्रीति वर्मा ने जंहा बताया कि हमारे गांव में बहुत सी समस्या है। बिजली नहीं है और हम होमवर्क नहीं कर पाते हैं।

जबकि हमारे गांव में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या दो सौ है। मैं पुलिस बनना चाहती हूं। लेकिन बिजली न होने के कारण किसी तरह सौर ऊर्जा की रोशनी में पढ़ती हूँ। इसलिए हम लोगों को पढ़ने में समस्या ज्यादा होती है।

वहीं गांव के किसान विश्वनाथ प्रताप शुक्ल से जब बात की गई तो, उन्होंने बताया कि हम कृषि करते हैं और हमारे यंहा लाइट न होने की वजह से हम काम नही कर पाते है. न ही हमारे बच्चे पढ़ पाते हैं. लाइट के न होने की वजह से ही हम न तो मोटर लगा पाते हैं. और न ही सिंचाई कर पाते है, जिससे हमको किसानी करने में भी बहुत दिक्कत आती है।

उत्तर प्रदेश व केंद्र सरकार ने पूरे देश में बिजली की समस्या को खत्म करने के लिए हर गांव हर शहर को रोशन करने के लिए जो योजना चलाई थी उस योजना पर सरकार खरा नहीं उतर पा रही है। क्योंकि उत्तर प्रदेश के गोंडा शहर से 25 किलोमीटर दूर गांव रुद्रगढ़ नौसी, जिसकी आबादी लगभग 1200  है, जिसमें आजादी के बाद से लेकर अब तक गांव में बिजली नही पहुँच पायी है।

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बात करें इस सरकार की तो गांव में सरकार ने लगभग 40 पिलर तो खड़े किए हैं. लेकिन उन पर आज तक बिजली का एक भी तार नहीं डाला गया है।

वहीं बिजली के इन पिलर्स को खड़े हुए भी 6 माह से ज्यादा हो गए हैं। गांव वालों का बिजली का या इंतजार कब खत्म होगा। कोई उम्मीद नहीं है। इस पूरे मामले पर जब विद्युत वितरण निगम के अधीक्षण अभियंता आर के श्रीवास्तव से बात की गई तो उन्होंने संस्था द्वारा काम बीच मे छोड़ देने की वजह से काम रुक जाने की दुहाई देते हुए कहा कि दूसरी संस्था को काम दिया उसने गांवों को चिन्हित कर काम शुरू कर दिया है।

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वहीं जब भारत सरकार के सिपाही सांसद गोंडा से बात की गई तो चार साल से सांसद होने के बावजूद भी इनको यह नही पता कि इस गांव में बिजली है भी की नहीं। अब ऐसे में यह कह पाना बहुत मुश्किल है कि सरकार अपने दावे पर खरी कैसे उतरेगी और 2019 तक कैसे हर घर पंहुचा पाएगी।

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