अपने धुन में मगन डॉक्टर, नहीं सुनाई दी घायल दरोगा की चीख

रिपोर्ट- आदर्श त्रिपाठी

हरदोई। उत्तर प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने का दावा करें लेकिन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में मार्ग दुर्घटना में घायल दरोगा के इलाज में जिस तरह से जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों ने संवेदनहीनता दिखाई है उसने स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होने के दावे की पोल खोलकर रख दी है।

घायल दरोगा

घायल  दरोगा स्ट्रेचर पर डॉक्टर के इंतजार में तड़पता रहा लेकिन घर जाने की जल्दी में इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर इमरजेंसी में आए मरीज को देखने की बजाय प्राइवेट मेडिको लीगल करने में लगे रहे।  यहां तक की पुलिस के घायल दरोगा को लखनऊ भेजने के लिए एंबुलेंस तक अस्पताल प्रशासन ने उपलब्ध नहीं कराई। मौके पर पहुंचे इंस्पेक्टर ने दरोगा की हालत देखते हुए खुद ही दबंगई दिखाते हुए एक सरकारी एंबुलेंस से दरोगा को उपचार के लिए लखनऊ भेजा।

दरअसल बिलग्राम कोतवाली में तैनात दरोगा चंद्रभान तिवारी  मार्ग दुर्घटना में बुरी तरह घायल हो गए। जिसके बाद उपचार के लिए जिला चिकित्सालय लाया गया। जिस समय पुलिस के दरोगा को उपचार के लिए लाया गया इमरजेंसी ड्यूटी पर अस्पताल के सर्जन डॉक्टर अशोक प्रियदर्शी मौजूद थे। घायल दरोगा के साथ आया सिपाही डॉक्टर साहब से घायल दरोगा को देखने का अनुरोध करता रहा लेकिन डॉक्टर साहब की इमरजेंसी में ड्यूटी खत्म होने को थी इसलिए इमरजेंसी में तैनात डाक्टर घायल दरोगा को देखने की बजाय एक प्राइवेट मेडिको लीगल करने में जुटे रहे जबकि अस्पताल के वार्डबॉय घायल दरोगा की मरहम पट्टी करने में जुट गए।

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अस्पताल प्रशासन की लापरवाही का आलम यह था कि घायल दरोगा को लखनऊ भेजने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मिल सकी। अस्पताल की लापरवाही देखकर सिपाही ने जब अपने इंस्पेक्टर को पूरा मामला बताया तो इंस्पेक्टर बिलग्राम सत्येंद्र सिंह ने अस्पताल प्रशासन को जमकर खरी खोटी सुनाते हुए मौके पर खड़ी एक सरकारी एंबुलेंस से दबंगई दिखाते हुए अपने दरोगा को उपचार के लिए लखनऊ भेजा। फिलहाल अस्पताल की इमरजेंसी में आए दूसरे डॉक्टर फिलहाल पूरे मामले में गोलमोल जवाब दे रहे है।

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