देवोत्थान एकादशी के दिन करें ये काम, भगवान विष्णु के साथ लक्ष्मीजी की होगी कृपा

 देव उठनी एकादशीदीपावली के 11 दिन बाद देवोत्‍थान एकादशी मनाई जाती है. कार्तिक माह की शुक्‍ल पक्ष की देवोत्‍थान एकादशी के दिन तुलसी जी का विवाह शालिग्राम के साथ रचाया जाता है. इस एकादशी को देव उठनी एकादशी और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं. आज से ही मंगल कार्य की शुरुआत होती है. इसी दिन चतुर्मास व्रत का भी समापन होता है. साथ ही पूजा के दौरान ये कार्य किए जाए तो उसका फल जरूर मिलता है.

एकादशी के दिन भगवान विष्णु चार माह बाद नींद से जागते हैं. विवाह के समय तुलसी के पौधे को कन्‍या स्‍वरूप मानकर लाल चुनरी ओढ़ाई जाती है. चूड़ी, बिंदी सिंदूर, बिछिया, वस्‍त्र, महवर जैसी चीजों से सोलह श्रृंगार किया जाता है.

वहीं भगवान शालि‍ग्राम को भी जल से स्‍नान आदि कराकर नए वस्‍त्र धारण कराए जाते हैं. इसके बाद पुरोहि‍त मंत्रोचार के द्वारा विवाह शुरू करते हैं. तुलसी विवाह के दौरान बारात व कन्‍यादान जैसी रस्‍में भी विधि विधान से निभाई जाती हैं. विवाह संपन्‍न होने के बाद शंख-घंटा घड़ियाल आदि बजाए जाते हैं.

एकादशी के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए और शंख में गंगाजल भरकर भगवान को अभिषेक करें.

विष्णु को पीले रंग का प्रसाद और फल चढ़ाने पर वह जल्दी खुश होते हैं इसलिए इस दिन पीला प्रसाद जरूर चढ़ाएं.

भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा जरूर करें ऐसा करने से धन लाभ होगा.

तुलसी के पौधे पर शाम के वक्त एक घी का दीपक जरूर जलाएं.

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