बीजापुर में नक्सलियों की कायराना हरकत: पिल्लूर और टेकमेटा में दो शिक्षादूतों की हत्या, मुखबिरी का शक

छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के फरसेगढ़ थाना क्षेत्र में नक्सलियों ने एक बार फिर अपनी बर्बरता दिखाई है। पिल्लूर और टेकमेटा गांवों में दो शिक्षादूतों, विनोद मड़े और सुरेश मेट्टा, की पुलिस मुखबिरी के संदेह में हत्या कर दी गई। यह घटना 14 जुलाई की देर रात को हुई, जिसके बाद इलाके में दहशत का माहौल है। हालांकि, खबर लिखे जाने तक पुलिस ने इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी।

सूत्रों के अनुसार, नक्सलियों ने पिल्लूर गांव के जंगल में विनोद मड़े, जो कोंडापड़गु स्कूल में शिक्षादूत (अतिथि शिक्षक) के रूप में कार्यरत थे, को अगवा कर लिया और धारदार हथियार से उनकी हत्या कर दी। इसी तरह, टेकमेटा गांव में सुरेश मेट्टा को भी नक्सलियों ने निशाना बनाया। दोनों पर पुलिस के लिए मुखबिरी करने का आरोप लगाया गया था। हत्या के बाद नक्सलियों ने शवों को जंगल में फेंक दिया और फरार हो गए। घटनास्थल पर नक्सलियों के पर्चे मिले हैं, जिसमें उन्होंने हत्या की जिम्मेदारी ली और मुखबिरी का आरोप दोहराया।

पुलिस और प्रशासन की प्रतिक्रिया
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और CRPF की टीमें घटनास्थल की ओर रवाना हुईं। बीजापुर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है, और शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। बहेरी सर्कल ऑफिसर अरुण कुमार सिंह ने बताया कि प्रारंभिक जानकारी के आधार पर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन क्षेत्र की दुर्गमता के कारण विस्तृत जानकारी के लिए पुलिस टीम के लौटने का इंतजार किया जा रहा है। बीजापुर के SP जितेंद्र यादव ने इसे नक्सलियों की बौखलाहट का परिणाम बताया, क्योंकि सुरक्षा बलों के हालिया अभियानों में कई बड़े नक्सली ढेर किए गए हैं।

नक्सली हिंसा का बढ़ता सिलसिला
बीजापुर और बस्तर संभाग में नक्सली हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं। इस साल जनवरी से अब तक बस्तर के सात जिलों में नक्सलियों ने 60 से अधिक ग्रामीणों की हत्या की है, जिनमें से ज्यादातर पर पुलिस मुखबिरी का आरोप लगाया गया। हाल की कुछ घटनाएं:

  • 6 दिसंबर 2024: बासागुड़ा में आंगनवाड़ी सहायिका लक्ष्मी पदम की हत्या।
  • 8 दिसंबर 2024: मद्देड़ क्षेत्र के लोदेड़ गांव में 40 वर्षीय यालम सुकरा की हत्या।
  • 29 अक्टूबर 2024: बासागुड़ा के पुतकेल गांव में दिनेश पुजारी की हत्या।
  • 2 जुलाई 2025: उसूर थाना क्षेत्र के पेरमपल्ली गांव में कवासी हुंगा की हत्या।
    इन घटनाओं से साफ है कि नक्सली अपनी कमजोर पड़ती स्थिति के कारण दहशत फैलाने के लिए निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बना रहे हैं।

पृष्ठभूमि और नक्सलियों की रणनीति
सुरक्षा बलों के लगातार अभियानों, जैसे हालिया मुठभेड़ों में बड़े नक्सली कमांडरों के मारे जाने और कई के आत्मसमर्पण करने से, नक्सली संगठन दबाव में हैं। बीजापुर और सुकमा जैसे क्षेत्रों में वे अब ग्रामीणों पर मुखबिरी का आरोप लगाकर हत्याएं कर रहे हैं ताकि इलाके में डर का माहौल बनाए रखें। शिक्षादूतों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं जैसे सामुदायिक सेवा से जुड़े लोगों को निशाना बनाना उनकी नई रणनीति का हिस्सा प्रतीत होता है, जिससे गांवों में शिक्षा और विकास कार्य बाधित हों।

क्षेत्र में दहशत और चुनौतियां
पिल्लूर और टेकमेटा जैसे दुर्गम गांवों में नक्सली हिंसा ने ग्रामीणों में भय पैदा कर दिया है। लोग डर के कारण पुलिस को सूचना देने से कतराते हैं, जिससे नक्सलियों का मनोबल बढ़ता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बिना सबूत के मुखबिरी का आरोप लगाकर हत्याएं की जा रही हैं, जिससे निर्दोष लोग शिकार बन रहे हैं। पुलिस ने दावा किया है कि मारे गए लोग मुखबिर नहीं थे, और नक्सली केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए ऐसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

आगे की कार्रवाई
पुलिस ने नक्सलियों की धरपकड़ के लिए सर्च ऑपरेशन तेज कर दिया है। बीजापुर में DRG, CRPF, और कोबरा बटालियन की टीमें जंगलों में तलाशी अभियान चला रही हैं। हालांकि, क्षेत्र की भौगोलिक जटिलता और नक्सलियों के प्रेशर बम और स्पाइक ट्रैप जैसे हथियारों का उपयोग सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बना हुआ है। हाल ही में, 4 फरवरी 2025 को तर्रेम थाना क्षेत्र के बुगदीचेरू गांव में दो ग्रामीणों की हत्या और 5 फरवरी को दंतेवाड़ा में एक युवक की हत्या ने नक्सली हिंसा की गंभीरता को और उजागर किया है।

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