राज्यपाल धनखड़ के ऐसा करने पर बंगाल सरकार उन पर भड़क उठी। इसे लेकर गृह विभाग ने कहा कि पश्चिम बंगाल की सरकार इस बात से निराश है राज्यपाल ने अचानक अपने उस पत्र को आम कर दिया। इसी के साथ मंत्रालय ने कहा कि राज्यपाल द्वारा साझ किए गए पत्र में लिखी बातें सच नहीं हैं।

गृह मंत्रालय ने अपने बयान में आगे कहा कि चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान राज्य की कानून-व्यवस्था की कमान निर्वाचन आयोग के हाथ में थी। शपथ ग्रहण के बाद राज्य मंत्रिमंडल ने कदम उठाते हुए शांति बहाल की और कानून-विरोधी तत्वों पर नियंत्रण किया।

यदि बात करें राज्यपाल धनखड़ के द्वारा सीएम ममता को लिखे गए पत्र की तो उसमें उन्होंने लिखा कि, “मैं चुनाव के बाद प्रतिशोधात्मक रक्तपात, मानवाधिकारों का हनन, महिलाओं की गरिमा पर हमला, संपत्ति का नुकसान, राजनीतिक विरोधियों की पीड़ाओं पर आपकी लगातार चुप्पी और निष्क्रियता को लेकर मैं विवश हूँ”

इसी के साथ राज्यपाल धनखड़ ने ट्वीट कर आरोप लगाते हुए कहा कि, “आपकी (सीएम ममता) चुप्पी, लोगों की पीड़ा को कम करने के लिए पुनर्वास और मुआवजे की खातिर किसी भी कदम का अभाव से यह निष्कर्ष निकलता है कि यह सब राज्य द्वारा संचालित है।”